मनीष दीक्षित-भोपाल। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण अगले सप्ताह में मोदी सरकार के लिए रिकॉर्ड सातवीं बार बजट पेश करने की तैयारी कर रही हैं, ऐसे में सवाल लाजमी है कि इस बार का बजट कैसा होगा? लोकसभा चुनावों ने भाजपा के लिए जो अलार्म बैल्स बजाई है, उसके चलते मतदाताओं, खासकर, किसानों, महिलाओं और युवाओं को लुभाने के लिए नई घोषणाएं की जा सकती हैं। आज सबसे पहले किसानों की बात-
क्या किसानों को मिलने वाली राहत बढ़ेगी?
प्रधानमंत्री ने 2016 में किसानों की आय दोगुनी करने की घोषणा की थी। उन्होंने कृषि क्षेत्र के लिए बजट आवंटन को लगभग तीन गुना कर दिया। इसका अर्थ हुआ कि कृषि मंत्रालय एवं किसान कल्याण हेतु बजटीय आवंटन 2016 के बाद से दोगुने से अधिक हो चुका है। लेकिन, किसानों की वास्तविक आय में प्रति वर्ष 2 प्रतिशत की दर से गिरावट ही देखने को मिली है। लगभग 12 करोड़ किसानों को प्रति वर्ष 6,000 रुपए मिलता है। मुद्रास्फीति को समायोजित करने के बाद 2019 में जो 6,000 रुपए किसानों को दिए जा रहे थे, वे आज लगभग 4,700 रुपए के बराबर होंगे। इसलिए इस राशि को दोगुना किए जाने की मांग उठ रही है। रायसेन जिले के आलमपुर के किसान आनंद पटेल कहते हैं कि 4 महीने में 2 हजार रुपए यानी साल में 6 हजार रुपए मिलते हैं, लेकिन इससे होता क्या है? यह बेहद कम है, इस राशि को बढ़ाकर मासिक किया जाना चाहिए।
क्या छोटे और मझोले किसानों को मिलेगा लाभ?
छोटे एवं सीमांत किसानों तक ही नकद सहायता राशि को सीमित कर देने मध्यम श्रेणी के किसान असंतुष्ट हैं। देश में छोटे और मझौले किसान 11.8 करोड़ है, जबकि अर्ध-मध्यम किसानों (2 से 4 हेक्टेयर तक खेती करने वाले) की संख्या 2 करोड़ है, जिन्हें इसका लाभ नहीं मिलता।
एमएसपी का दायरा बढ़ेगा?
किसान आंदोलन के दौरान, सरकार ने किसानों के साथ केवल एक लिखित समझौते पर हस्ताक्षर कर एमएसपी को कानूनी गारंटी देने पर सहमति दी थी। क्या वित्त मंत्री एमएसपी की मांग मानकर किसानों को अनुग्रहित करेंगी?
फसल बीमा का क्या होगा?
देश में करीब 25 करोड़ किसान हैं। लेकिन 2024-25 के अंतरिम बजट में मात्र 4 करोड़ किसानों को फसल बीमा योजनाओं के तहत कवर करने का लक्ष्य रखा गया है। यह देश के किसानों के केवल एक-छठे हिस्से से कुछ अधिक को ही कवर करता है।