
नागपुर। आरएसएस सुप्रीमो डॉ. मोहन भागवत ने मणिपुर में शांति स्थापना में देरी पर चिंता व्यक्त की है। नागपुर में एक संवाद के दौरान उन्होंने कहा कि पिछले एक साल से यह पूर्वोत्तर राज्य हिंसा का सामना कर रहा है। भागवत ने बीजेपी और केंद्र सरकार को नसीहत भरे अंदाज में संदेश देते हुए कहा कि अब चुनावी बयानबाजी से ऊपर उठकर राष्ट्रीय मुद्दों पर ध्यान दिया जाना चाहिए। गौरतलब है कि मई 2023 में मैती और कुकी समुदायों के बीच हिंसा भड़क उठी थी और उसके बाद से अब तक जारी हिंसा के दौर में 200 से ज्यादा लोग मारे गए हैं और हजारों लोग विस्थापित हुए हैं।
जताई हिंसक हालातों पर चिंता
आरएसएस प्रमुख ने कहा कि इस पूर्वोत्तर राज्य में हिंसा और संघर्ष की स्थिति बेहद गंभीर है और इस पर प्राथमिकता से विचार करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि मणिपुर में पिछले एक साल से शांति बहाल होने का इंतजार किया जा रहा है, लेकिन हालात में अब तक कोई सुधार नहीं हुआ है। इस हिंसा में बड़ी संख्या में लोगों आगजनी और संपत्ति को भी नुकसान हुआ है। गौरतलब है कि पिछले कुछ दिनों में राज्य के जिरीबाम से हिंसा की ताजा खबरें सामने आई हैं, जिससे क्षेत्र में तनाव बढ़ गया है।
सरकार बनते ही RSS सुप्रीमो के बयान के मायने
देश में बीजेपी की अगुवाई वाली केंद्र सरकार के बनते ही जिस तरह से भागवत ने मणिपुर में बिगड़ती कानून व्यवस्था और हिंसा की बढ़ती घटनाओं पर चिंता दर्शाई है, वह संघ और बीजेपी के असामान्य होते रिश्तों की तरफ भी इशारा माना जा सकता है। इससे पहले बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और अब मोदी कैबिनेट के स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा खुलकर कह चुके हैं कि बीजेपी अब आरएसएस पर आश्रित नहीं है और अपने फैसले लेने के लिए आत्मनिर्भर है। ऐसे में सबकी निगाहें अब इस बात की ओर हैं कि केंद्र सरकार उनके इस बयान पर क्या कदम उठाती है ?