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“अब सरकार के कब्जे से मंदिरों को मुक्त कराएगी VHP”

भोपाल। मध्यप्रदेश सहित अन्य राज्यों में मौजूद लाखों देवालयों को शासकीय नियंत्रण से पूर्णत: मुक्त कराने के लिए विश्व हिंदू परिषद की मुहिम फिर तेज होगी। सरकार से आग्रह किया जाएगा कि सभी धर्म स्थलों के लिए एक जैसी नीति लागू की जाए। केवल हिंदू देवालयों का नियंत्रण ही शासन के अधीन क्यों? मध्यप्रदेश में छोटे-बड़े करीब 55 हजार से अधिक मंदिर हैं लेकिन बड़े मंदिरों के लिए ट्रस्ट/संचालन समितियां प्रशासन के अधीन कार्यरत हैं। इनको मुक्त कराने ये मुहिम शुरू की गई थी। आरएसएस प्रमुख डॉ मोहन भागवत भी इस मुद्दे की पैरवी कर चुके हैं।

आरएसएस का मानना है कि मंदिरों का नियंत्रण सरकार के बजाए समाज के हाथों में ही हो। मप्र सहित अन्य राज्यों में विहिप मंदिरों को शासकीय नियंत्रण से मुक्ति का अभियान चला रही है। इसके लिए पिछले दिनों संघ ने प्रदेश के सभी जिलों के हर गांव-कस्बे में मौजूद मंदिर, श्मशान स्थल और जल स्त्रोतों का सर्वे भी कराया है। सर्वे के साथ ही कहा गया है कि समरसता के लिए इन तीनों स्थलों पर समाज के सभी वर्गों की निर्बाध पहुंच हो।

मप्र में करीब 55 हजार मंदिर

विभागीय सूत्रों का कहना है कि प्रदेश में छोटे-बड़े मंदिरों की संख्या 55 हजार से अधिक है। इनमें कई बहुत प्राचीन मंदिर हैं, जिनके साथ अरबों रुपए मूल्य की संपत्ति भी जुड़ी है। प्रदेश के बड़े मंदिरों महाकाल, शारदा देवी मैहर, ओंकारेश्वर मंदिर, रामराजा मंदिर ओरक्षा, जाम सांवली हनुमान मंदिर, खजराना गणेश मंदिर इंदौर, गोपाल मंदिर, दादाजी धाम खंडवा और सलकनपुर आदि हैं जिनका संचालन ट्रस्ट/समितियों द्वारा किया जा रहा है जो प्रशासन के अधीन हैं।

धर्म स्थलों के लिए सरकार की एक नीति हो: विहिप

विहिप के प्रांत मंत्री राजेश जैन का सवाल है कि जब मुस्लिम और ईसाइयों के धर्मस्थलों का संचालन समाज के पास है तो हिंदू देवालयों के लिए भी यही नीति होना चाहिए। धर्मस्थलों पर आने वाली चढ़ोतरी का उपयोग भी अन्यंत्र नहीं किया जाए। जैन ने बताया कि मंदिरों का निर्माण समाज द्वारा कराया गया है तो संचालन भी उसे ही सौंपा जाना चाहिए। उन्होंने बताया कि विहिप इस मुद्दे पर देश भर में मुहिम चला रही है। देश में करीब 4 लाख से ज्यादा मंदिर हैं।

मंदिर समिति का स्वरूप

सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के अनुसार हर मंदिर को अपने आप में पब्लिक ट्रस्ट बताया गया है। बड़े मंदिर ट्रस्ट/समिति प्रमुख के रूप में कलेक्टर का प्रावधान है। बड़ी संख्या में ऐसे मंदिर भी हैं, जहां तहसीलदार और एसडीएम भी प्रभारी बनाए गए हैं। ज्यादातर बड़े मंदिरों में ऐसा ही होता है। समिति में पुलिस अधीक्षक, नगरीय निकायों के अधिकारी, कलेक्टर द्वारा नामित अधिकारी और सरकार द्वारा नामित पुजारी और अशासकीय सदस्य भी होते हैं।

(इनपुट-राजीव सोनी)

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