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विकास कार्यों से कमजोर हुईं नक्सलवाद की जड़ें

90 के दशक से है बालाघाट में नक्सलियों का आतंक, अब मिली राहत

संजय कुमार तिवारी-जबलपुर। बालाघाट 90 के दशक से नक्सलवाद से जूझ रहा है। उन्हें जिले की सीमा से बाहर करना मुश्किल हो गया था। इसके बाद जंगलों में बल बढ़ा और सुरक्षा के इंतजाम भी मजबूत करने के प्रयास शुरू हुए। युद्धस्तर पर काम शुरू होने से नक्सलियों की चहलकदमी कम हुई है। जिले में 15 सालों में 454 सड़कों का जाल बिछा है। ढाई हजार मीटर पुल- पुलियों का निर्माण हुआ। अब यह निर्माण अब नक्सलियों की राह में रोड़ा बन गए हैं।

15 सालों में ये हुए विकास कार्य

  • राज्यमार्ग 61 किमी लंबाई का, लागत 501 करोड़।
  • मुख्यमार्ग से जुड़े 20 मार्ग, जिसकी लंबाई 489.49 किमी है, लागत 338.37 करोड़।
  • ग्रामीण क्षेत्रों के 60 मार्ग, जिनकी लंबाई 349.7 किमी है, इनका निर्माण 151.18 करोड़ की लागत से हुआ।
  • कुल सड़कों की संख्या 81, कुल सड़कों की लंबाई 889.17 किमी और लागत 494.54 करोड़।
  • एमपीआरआरडीए के अंतर्गत 373 सड़कें बनाई गईं, जिनकी लंबाई- 1280.46 किमी और लागत- 41124.19 लाख है।
  • 1854 पुल- पुलियों का निर्माण 28.78 करोड़ से किया गया।

बालाघाट जिले में ये बड़े नक्सली मुठभेड़ में मारे गए

  • 14 दिसंबर 2023 को हॉकफोर्स ने बालाघाट जिले के गढ़ी थाना क्षेत्र के सूपखार के खमकोदादर में 14 लाख के इनामी नक्सली मड़काम हिड़मा उर्फ चैतु को मार गिराया था।
  • 1 अप्रैल 2024 की रात्रि 9-10 बजे 29 लाख की इनामी नक्सली नेता डीवीसीएम सजंती उर्फ क्रांति और 14 लाख रुपए का इनामी नक्सली रघु उर्फ शेर सिंह एसीएम को केराझरी में ढेर किया था।

1990 से है संवेदनशील

नक्सली गतिविधियों को लेकर 1990 से जिला संवेदनशील है। नक्सल क्षेत्र में 15 सालों में काफी बदलाव हुआ है। -समीर सौरभ, एसपी बालाघाट

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