धर्म

MahaLaxmi Vrat 2022 : कब है महालक्ष्मी व्रत ? जानें शुभ मुहूर्त, इन 5 उपायों से दूर हो सकती है पैसे की तंगी

महालक्ष्मी व्रत आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को किया जाता है। इस बार यह व्रत 17 सितंबर, शनिवार को पड़ रहा है। बता दें कि इस दिन को कन्या संक्राति के रूप में भी मनाया जाएगा। इस व्रत की शुरुआत 3 सितंबर, शनिवार को हो चुकी है और 17 सितंबर, शनिवार को इसका समापन होगा। धन की देवी लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए महालक्ष्मी व्रत का आखिरी दिन बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है।

इन उपायों से दूर हो सकती है पैसे की समस्या

धन-संपत्ति में बढ़ोत्तरी, कर्ज से मुक्ति पाने के लिए इस दिन कुछ विशेष उपाय किए जाते हैं। महालक्ष्मी व्रत पर इन आसान उपायों से व्यक्ति को धन लाभ, यश, कीर्ति की प्राप्ति होती है। आइए जानते हैं…

श्रीसूक्त का पाठ करें

महालक्ष्मी व्रत के दिन सुबह स्नान आदि करने के बाद पहले देवी लक्ष्मी की पूजा करें और उसी स्थान पर बैठकर श्रीसूक्त का पाठ करें। मान्यता है कि देवराज इंद्र ने भी देवी लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए श्रीसूक्त का पाठ किया था। अगर स्वयं श्रीसूक्त का पाठ न कर पाएं तो किसी ब्राह्मण से भी ये कार्य करवा सकते हैं, जिसका फल आपको मिलेगा।

देवी लक्ष्मी का अभिषेक करें

महालक्ष्मी व्रत के दिन गाय के दूध में केसर डालकर देवी लक्ष्मी का अभिषेक करें। अभिषेक करते समय ‘ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्म्यै नम:’ मंत्र का जाप करते रहें। इससे देवी लक्ष्मी प्रसन्न होकर भक्त की हर इच्छा पूरी करती हैं।

चांदी का हाथी घर लेकर आएं

महालक्ष्मी व्रत में हाथी पर बैठी देवी लक्ष्मी की पूजा करने का विधान है। कुछ स्थानों पर सिर्फ हाथी की ही पूजा भी की जाती है। इस दिन अगर चांदी से बना हाथी घर में लाकर पूजा स्थान या लॉकर में रखा जाए तो धन लाभ के योग बनने लगते हैं। हाथी को वास्तु में भी बहुत ही शुभ माना गया है।

हाथी को चारा खिलाएं

महालक्ष्मी व्रत के दिन यानी 17 सितंबर को हाथी को चारा या गन्ना खिलाएं। हाथी को साक्षात भगवान श्रीगणेश का स्वरूप ही माना जाता है। महालक्ष्मी व्रत पर हाथी की पूजा करने और उसे चारा खिलाने से हर तरह के शुभ फल हमें मिल सकते हैं। साथ ही घर-परिवार में भी सुख-समृद्धि बनी रहती है।

गजलक्ष्मी के मंदिर में पूजा करें

अगर आपके घर के आस-पास कोई गजलक्ष्मी मंदिर है यानी जिस मंदिर में हाथी पर बैठी देवी लक्ष्मी की प्रतिमा हो तो वहां जाकर विधि-विधान से देवी लक्ष्मी और हाथी की पूजा करें। इसके बाद अपनी इच्छा अनुसार जरूरतमंदों को दान करें। इस उपाय से भी आपकी परेशानियां दूर हो सकती हैं।

जानें शुभ मुहूर्त

हिंदू पंचांग के अनुसार, महालक्ष्मी व्रत आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को किया जाता है। 17 सितंबर, शनिवार को अष्टमी तिथि की शुरुआत दोपहर 2 बजकर 33 मिनट पर होगी और 18 सितंबर यानी अगले दिन रविवार को शाम 4 बजकर 33 मिनट तक रहेगी।

महालक्ष्मी पूजन विधि

ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करने के बाद व्रत-पूजा का संकल्प लें। व्रत का संकल्प लेने के बाद किसी साफ स्थान पर देवी लक्ष्मी की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें। ध्यान रखें कि इस दिन गजलक्ष्मी यानी हाथी पर बैठी देवी लक्ष्मी की पूजा करनी है। इसके बाद देवी लक्ष्मी के सामने घी का दीपक जलाएं और तिलक लगाकर पूजा आरंभ करें। सबसे पहले माता को हार-फूल अर्पित करें।

इसके बाद चंदन, अबीर, गुलाल, दूर्वा, लाल सूत, सुपारी, नारियल आदि चीजें चढ़ाएं। पूजन के दौरान नए सूत 16-16 की संख्या में 16 बार रखें। जिसके बाद देवी लक्ष्मी के साथ-साथ हाथी की भी पूजा करें। कुछ स्थानों पर इस व्रत को हाथी पूजा के नाम से भी जाना जाता है। अंत में भोग लगाकर देवी की आरती करें। इस प्रकार यह व्रत पूरा होता है। पूजा संपन्न होने पर पहले प्रसाद ग्रहण करें बाद में भोजन कर सकते हैं।

कैसे किया जाता है व्रत ?

घर में पति-पत्नी दोनों ही पूजा एवं व्रत कर सकते हैं। नियमित रूप से सफेद मिष्ठान्न, किशमिश, मिश्री अथवा पंचमेवा का भोग लगाएं। आरती करें। 16 दिन तक व्रत कर सकते हों तो बहुत अच्छा है और यदि व्रत नहीं कर सकते तो अष्टमी, पूर्णिमा और फिर अष्टमी अर्थात 3 दिन का व्रत करने से ही मां लक्ष्मी के व्रत पूर्ण हो जाते हैं।

(नोट : यहां दी गई सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है। हम मान्यता और जानकारी की पुष्टि नहीं करते हैं।)

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