अशोक गौतम-भोपाल। सतना जिले के कोटर निवासी प्रेमनारायण गौतम कहते हैं कि वे अपने पुत्र को अच्छी शिक्षा दिलाने के लिए शहर में बस गए हैं। उन्होंने जिला मुख्यालय में मकान भी बना लिया है। सतना में रहने से शहरी माहौल मिलेगा। गांवों के लोगों का शहर में आने से कृषि जमीनों को कॉलोनी के रूप में परिवर्तित किया जा रहा है, इसमें प्रदेश में रीवा और सतना सबसे आगे हैं। इन दोनों जिलों में भूमि उपयोग के परिवर्तन और कॉलोनी काटने के सबसे ज्यादा आवेदन नगर तथा ग्राम निवेश में आए हैं। वहीं भोपाल और इंदौर जैसे सबसे बड़े शहर इस मामले में पांचवें और छठवें नम्बर पर हैं।
नगर तथा ग्राम निवेश में कॉलोनी काटने, लैंड यूज परिवर्तन के प्रदेशभर में करीब सात हजार आवेदन प्रति वर्ष आते हैं। इसमें करीब 10% आवेदन प्लानिंग एरिया के बाहर के लिए होते हैं। जिन्हें मास्टर प्लान एरिया को जोड़ते हुए कॉलोनी काटने की अनुमति दी जाती है। ऐसे जिलों में रियल स्टेट का कारोबार भी लगातार बढ़ रहा है।
आदिवासी बहुल 20 जिलों में कम आवेदन आए : आदिवासी इलाके शहरीकरण से दूर हैं। मंडला, डिंडोरी, अलीराजपुर, अशोक नगर सहित आदिवासी बहुल 20 जिलों में सिर्फ 5 से 10 आवेदन ही साल भर में टीएनसीपी में पहुंचते हैं। इसमें भी ज्यादातर आवेदन प्लानिंग एरिया में कॉलोनी बनाने को लेकर आते हैं।
भोपाल- इंदौर में धारा 16 को लेकर बड़ी समस्या
दरअसल, भोपाल और इंदौर में मास्टर प्लान का प्रकाशन जब तक नहीं हो जाता , तब तक यहां कॉलोनी काटने के अनुमति धारा- 16 में दी जा रही है। इसमें कॉलोनी काटने और लैंड यूज परिवर्तन का अधिकार केवल टीएनसीपी के आयुक्त को होता है। इस धारा में अनुमति सामान्य तौर पर मिलना बिल्डरों के लिए आसान नहीं होता है, इसके चलते इन शहरों में आवेदन कम आए।
वर्ष 2024 में लैंड यूज और कॉलोनी काटने के आवेदन
जिले का नाम आवेदन
रीवा 1,265
सतना 901
जबलपुर 767
सागर 634
इंदौर 434
कुल आवेदन 4,757
प्लानिंग एरिया 4,181
प्लानिंग एरिया के बाहर 576
दस्तावेजों की जांच के बाद कॉलोनी काटने की अनुमति
जिलों में कॉलोनाइजरों द्वारा जहां कॉलोनी काटने के अगवेदन दिए जाते हैं, उस स्थान का परीक्षण उपरांत वैधानिक अनुमतियां दी जाती हैं। चाहे वह धारा-16 में हो अथवा सामान्य अनुमति क्यों न हो। जिन शहरों में जितने आवेदन आए हैं उतनी अनुमतियां परीक्षण के बाद देंगे। -नीरज मंडलोई, प्रमुख सचिव, नगरीय प्रशासन एवं आवास विभाग