नई दिल्ली। Instant Loan Apps का जाल इंटरनेट पर काफी ज्यादा फैला हुआ है। कई ऐसे फर्जी लोन ऐप्स मौजूद हैं, जो लोगों को अपने जाल में फंसाकर उनसे बड़ी रकम वसूलते हैं। कुछ मामलों में ये ऐप्स जानलेवा साबित हुए हैं। दरअसल, कर्ज के जाल में फंसकर कई लोगों को अपनी जान तक गंवानी पड़ी। बढ़ती साइबर धोखाधड़ी पर लगाम लगाने के लिए RBI एक डिजिटल इंडिया ट्रस्ट एजेंसी (DIGITA) स्थापित करने पर विचार कर रही है। आइए जानते हैं इस एजेंसी के आने से क्या ये धोखाधड़ी खत्म हो जाएगी।
फर्जी इंस्टेंट लोन ऐप्स पर लगेगी रोक
डिजिटल इंडिया ट्रस्ट एजेंसी (DIGITA) डिजिटल लोन देने वाले ऐप्स के वेरिफिकेशन से लेकर ऐप्स के रजिस्ट्रेशन तक नजर बनाए रखेगी। रिपोर्ट के अनुसार जिन ऐप्स पर DIGITA के वेरिफिकेशन सिग्नेचर नहीं होंगे, उन्हें लोगों के उपयोग के लिए परमिशन नहीं दी जाएगी। RBI की यह एजेंसी डिजिटल क्षेत्र में पैसों के लेनदेन के अपराधों के खिलाफ लड़ाई में एक जरूरी जांच के रूप में काम करेगी।
RBI ने की Google के साथ मिलकर व्हाइट लिस्ट तैयार
RBI का कहना है कि DIGITA को डिजिटल लोन देने वाले ऐप्स की जांच की जिम्मेदारी सौंपी जाएगी। इससे वेरिफिकेशन प्रोसेस में अधिक ट्रांसपेरेंसी आएगी और डिजिटल लोन देने वाले फर्जी ऐप्स पर रोक लगेगी। हाल ही में RBI ने Google के साथ व्हाइट लिस्ट में डालने के लिए आईटी मंत्रालय के साथ 442 यूनिक डिजिटल लोन देने वाले ऐप्स की एक लिस्ट बना ली है।
2200 से अधिक ऐप हुए प्ले स्टोर से रिमूव
इससे पहले गूगल ने 7 फरवरी को 2200 से अधिक डिजिटल लोन देने वाले ऐप्स को प्ले स्टोर से रिमूव किया था। ये ऐप सितंबर 2022 से अगस्त 2023 के बीच रिमूव किए गए। Google ने प्ले स्टोर पर लोन ऐप्स के संबंध में अपनी पॉलिसी को अपडेट किया। इसमें केवल उन ऐप्स को अनुमति दी गई है जो RBI की विनियमित संस्थाओं (RE) या आरई के साथ साझेदारी में काम कर रहे हैं।
क्या होते हैं इंस्टेंट लोन ऐप
ये ऐप ऐसे होते हैं जो बिना किसी डॉक्यूमेंट के ही लोगों को डिजिटली लोन दे देते हैं। फिर बाद में मोटा ब्याज लगाकर लोगों को धमका कर पैसे लेते हैं। इस ऐप को शुरू करते समय यह आपसे आपके फोन का एक्सेस लेते हैं। एक बार एक्सेस देने पर आपके फोन की डिटेल्स उनके पास चली जाती हैं। जिसमें आपके फोन नंबर भी शामिल होते हैं। पैसे समय पर वापिस न करने पर ये ऐप वाले आपके परिवार वालों को फोन कर पैसे भरने को कहते हैं। इनमें से अधिकतर ऐसे ऐप होते हैं जिन्हें RBI के द्वारा रजिस्टर नहीं किया जाता है। बहुत से ऐसे लोग होते हैं जो यहां से लोन लेते हैं और बाद में उन्हें अधिक ब्याज दरों के साथ चुकाना पड़ता है।