भीलवाड़ा। राजस्थान में चांदीपुरा वायरस से दूसरी मौत हो गई है। शाहपुरा जिले के इटड़िया गांव में दो वर्षीय मासूम की चांदीपुरा वायरस से संक्रमित होने के बाद अहमदाबाद में इलाज के दौरान मौत होने का मामला सामने आया है। जानकारी के अनुसार, 4 अगस्त को बुखार से ग्रसित मासूम के 6 अगस्त को अहमदाबाद में चांदीपुरा वायरस की पुष्टि हुई।
मासूम इशिका पुत्री हेमराज कीर निवासी इटड़िया का इलाज अहमदाबाद में चल रहा था, जहां देर रात उसने दम तोड़ दिया। उसके शरीर और मस्तिष्क ने काम करना बंद कर दिया था। मामले की सूचना मिलने के बाद शाहपुरा जिला कलेक्टर राजेंद्र सिंह शेखावत, सीएमएचओ डॉ. वीडी मीणा, फूलियाकलां एसडीएम राजकेश मीणा सहित जिला प्रशासन, चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग के आला अधिकारी इटड़िया गांव पहुंचे।
कोविड प्रोटोकॉल से हुआ अंतिम संस्कार
शुक्रवार की सुबह 9 बजे मेडिकल टीम और परिजन पीपीई किट में शव लेकर इटड़िया गांव पहुंचे। यहां प्रशासन और मेडिकल टीम की मौजूदगी में मासूम बच्ची का अंतिम संस्कार कोविड-19 प्रोटोकॉल के तहत किया गया।
गांव में मेडिकल टीम कर रही सर्वे
चांदीपुरा संक्रमण का शाहपुरा जिले का पहला और प्रदेश का तीसरा मामला होने से राज्य सरकार भी सुपरवीजन रख रही है। संक्रमण की उत्पति को लेकर कोई प्रमाणिक जानकारी नहीं आई है, लेकिन प्रारभिंक जानकारी में गांव में ही इसकी उत्पत्ति होना बताया जा रहा है।
इस संबंध में स्थानीय प्रशासन को निर्देशित किया गया है। पूरे गांव और आसपास में मेडिकल टीम सर्वे कर रही है। वहां के उप स्वास्थ्य केंद्र पर चिकित्सकों की टीम को तैनात किया हुआ है।
वायरस का नाम कैसे पड़ा ‘चांदीपुरा’?
साल 1966 में पहली महाराष्ट्र में इससे जुड़ा केस रिपोर्ट किया गया था। नागपुर के चांदीपुर में इस वायरस की पहचान हुई थी। उस समय 15 साल तक के बच्चों की रहस्यमयी मौतें हुई थीं। बाद में पता चला कि इन मौतों की वजह कोई वायरस ही था, तभी से इस वायरस का नाम ‘चांदीपुरा’ पड़ गया। इसके बाद इस वायरस को साल 2004 से 2006 और 2019 में आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र और गुजरात में रिपोर्ट किया गया। चांदीपुरा वायरस से 15 साल से कम उम्र के बच्चे सबसे ज्यादा शिकार होते हैं।
क्या हैं चांदीपुरा वायरस के लक्षण ?
चांदीपुरा वायरस होने से रोगी को बुखार की शिकायत होती है। जैसे कि तेज बुखार, उल्टी, दस्त और सिरदर्द। वहीं इसमें फ्लू जैसे ही लक्षण होते हैं और तेज एन्सेफलाइटिस होती है। एन्सेफलाइटिस एक ऐसी बीमारी है, जिससे दिमाग में सूजन की शिकायत होती है।
कैसे फैलता है वायरस ?
यह वायरस वेसिकुलोवायरस गण का सदस्य है और संक्रमित मच्छर, टिक या सेंडफ्लाइ के काटने से फैलता है। सैंडफ्लाई एक छोटा सा मक्खी होता है, जो आमतौर पर ग्रामीण इलाकों में पाया जाता है। इसके फैलने के पीछे मच्छर में पाए जाने वाले एडीज जिम्मेदार हैं। बता दें कि चांदीपुरा वायरस एक RNA वायरस है, जो सबसे ज्यादा मादा फ्लेबोटोमाइन मक्खी से फैलता है
इस वायरस से बचाव कैसे करें ?
- मच्छर और सैंडफ्लाई से बचाव के लिए मच्छरदानी का उपयोग करें।
- स्किन को ढकने वाले कपड़े पहनें।
- सैंडफ्लाई के प्रजनन स्थलों को नष्ट करें।
- बच्चों को नियमित रूप से टीकाकरण करवाएं।