जबलपुरमध्य प्रदेश

MP में अंधविश्वास से फिर एक मासूम की मौत : इलाज के नाम पर गर्म सलाखों से 24 बार दागा, अस्पताल में 3 महीने की बच्ची ने तोड़ा दम

शहडोल। मध्य प्रदेश के आदिवासी बाहुल्य जिले शहडोल (Shahdol) से दिल दहला देने वाला मामला सामने आया है। यहां अंधविश्वास के चलते 3 महीने की बच्ची को गर्म सलाखों से दागवा दिया, इलाज के दौरान बच्ची ने दम तोड़ दिया। जिले में दगना से 4 दिन के अंदर यह दूसरी घटना है।

दरअसल, सामतपुर गांव निवासी 3 माह की शुभी कोल को सांस लेने में तकलीफ हो रही थी। उसे ठीक करने के लिए अंधविश्वास के चलते परिजनों ने इलाज के नाम पर बच्ची को गर्म सलाखों से दगवा दिया। दुधमुंही बच्ची को 24 बार गर्म सलाखों से दागने के निशान उसके शरीर में बने हैं। हालत बिगड़ने के बाद मासूम को अस्पताल में भर्ती कराया गया। जहां शनिवार देर रात इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई।

इससे पहले एक बच्ची को 51 बार दागा था

गौरतलब है कि 4 दिन पहले गर्म सलाखों से दागने के बाद इलाज के दौरान एक 3 माह के बच्ची की मौत हो चुकी है। सिंहपुर कठौतिया की 3 माह की दुधमुंही बच्ची रुचिता कोल को गर्म सलाखों से 51 बार दागा था। उपचार के दौरान बच्ची ने दम तोड़ दिया था। वहीं 3 दिन बाद प्रशासन ने दफन बच्ची की मौत का कारण जानने के लिए कब्र खुदवा कर शव बाहर निकलवाया। मेडिकल कॉलेज में बच्ची का पीएम हुआ। प्रशासन बच्ची के पीएम रिपोर्ट का इंतजार कर रहा है।

घटना पर BMO को नोटिस जारी

इधर, जिले में दो मासूमों की मौत के बाद जिला प्रशासन जागा है। लापरवाही के बाद कठौतिया और सामतपुर गांव में पदस्थ आशा कार्यकर्ता, आशा सहयोगिनी की सेवा समाप्त कर दी है। इसके साथ ही सिंहपुर बीएमओ वायके पासवान को नोटिस जारी किया है। सीएचओ समेत अन्य मैदानी स्तर के अधिकारी कर्मचारियों का प्रभावित गांव से तबादला कर दिया है। वहीं सीडब्ल्यूसी की टीम ने भी प्रभावित गांव का दौरा किया है।

दागने से संबंधित आरोपों की जांच के दिए आदेश: कलेक्टर

शहडोल की जिला कलेक्टर का कहना है कि, नवजात बच्ची की मां को आंगनवाड़ी कार्यकर्ता ने दो बार ऐसा नहीं करने की समझाइश दी थी। इसके बावजूद बच्ची को गर्म सलाखों से दागा गया। कलेक्टर ने कहा कि, मौत निमोनिया से ही हुई है। इस घटना की जांच के लिए जब महिला बाल विकास के अधिकारी अस्पताल गए, तो पता लगा कि ये घटना 15 दिन पुरानी थी। निमोनिया बढ़ने के कारण मासूम की मौत हो गई। दागने से संबंधित आरोपों की जांच के आदेश दे दिए गए हैं।

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कुप्रथा खत्म होने का नाम नहीं ले रही

मध्य प्रदेश के कई इलाकों में अंधविश्वास के फेर में बच्चों को गर्म लोहे से दागा जाता है, जिसे दागना कहते हैं। इस तरह से बच्चों को शरीर पर जलाने को ग्रामीण-आदिवासी अंचल इलाकों में डॉम कहा जाता है और यह एक अंधविश्वास है। इस कुप्रथा के खिलाफ प्रशासन जागरूकता कार्यक्रम भी चलाता है, लेकिन कोई फायदा नहीं होता। ऐसे मामले शहडोल, बड़वानी, अलीरापुर, हरसूद, खालवा, श्योपुर जिला अस्पताल में पहले भी कई बार आ चुके हैं।

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