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राहुल से पहले भी अयोग्य ठहराए गए कई जनप्रतिनिधि, भाजपा समेत तमाम पार्टियों के नेताओं ने खोई सदस्यता

नई दिल्ली। आपराधिक मानहानि के मामले में सूरत की कोर्ट द्वारा दोषी ठहाए जाने के बाद कांग्रेस नेता राहुल गांधी को लोकसभा की सदस्यता के लिए अयोग्य करार दिया गया है। सजा सुनाए जाने के 24 घंटे के अंदर लोकसभा सचिवालय द्वारा राहुल की सदस्यता खत्म करने का नोटिफिकेशन जारी होने का कांग्रेस विरोध कर रही है। उसका कहना है कि यह लोकतंत्र की हत्या है। हालांकि, राहुल की सदस्यता जनप्रतिनिधि कानून की धारा 8 के तहत समाप्त की गई है।

क्या है अधिनियम के प्रावधान

राहुल पहले नेता नहीं हैं, जिन पर यह कार्रवाई हुई है। दअसल, जनप्रतिनिधित्व अधिनियम के तहत यदि किसी जनप्रतिनिधि को किसी मामले में 2 साल या उससे अधिक कारावास की सजा सुनाई जाती है, तो वह दोषी करार दिए जाने की तारीख से सदन की सदस्यता से अयोग्य हो जाता है। इसके बाद सजा की अवधि पूरी करने के बाद 6 साल और चुनाव नहीं लड़ सकता है।

इन नेताओं को अयोग्य घोषित किया गया

अब्दुल्ला आजम खां : आजम खां के बेटे अब्दुल्ला आजम खां को फरवरी 2023 में यूपी विधानसभा के लिए अयोग्य करार दिया गया था। अदालत ने 15 साल पुराने एक मामले में उन्हें दो साल कारावास की सजा सुनाई थी। अब्दुल्ला रामपुर की स्वार विधानसभा से सदस्य थे।

पीपी मोहम्मद फैजल : लक्षद्वीप से राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) के सांसद पीपी मोहम्मद फैजल को जनवरी 2023 में हत्या के प्रयास के मामले में 10 साल जेल की सजा सुनाई गई थी। वह भी संसद सदस्यता के लिए अयोग्य हो गए थे। हालांकि, केरल हाईकोर्ट ने बाद में  फैजल की सजा को निलंबित कर दिया। सांसद के अनुसार लोकसभा सचिवालय ने अब तक उनकी अयोग्यता को वापस लेने के संबंध में अधिसूचना जारी नहीं की है।

आजम खां : समाजवादी पार्टी के नेता आजम खां को 2019 के हेट स्पीच के मामले में एक अदालत ने 3 साल कैद की सजा सुनाई थी। अक्टूबर 2022 में उन्हें उत्तर प्रदेश विधानसभा के लिए अयोग्य करार दिया गया। वह रामपुर सदर विधानसभा से विधायक थे।

अनिल कुमार सहनी : धोखाधड़ी के एक मामले में सहनी को तीन साल की जेल हुई थी। इसके बाद अक्टूबर 2022 में बिहार विधानसभा की सदस्यता के लिए उन्हें अयोग्य घोषित किया गया था।

विक्रम सिंह सैनी : भाजपा विधायक सैनी को यूपी विधानसभा के लिए अक्टूबर 2022 में अयोग्य करार दिया गया था। उन्हें 2013 के मुजफ्फरनगर दंगों के एक मामले में दो साल के कारावास की सजा सुनाई गई थी। वह खतौली सीट से विधायक थे।

अनंत सिंह : जुलाई 2022 में राजद विधायक अनंत सिंह की सदस्यता गई थी। उनके घर से हथियार और गोला-बारूद जब्त होने से जुड़े मामले में उन्हें दोषी करार दिया गया था। सिंह पटना जिले की मोकामा सीट से विधायक थे।

प्रदीप चौधरी : कांग्रेस विधायक चौधरी को जनवरी 2021 में हरियाणा विधानसभा के लिए अयोग्य करार दिया गया था। उन्हें हमले के एक मामले में 3 साल जेल की सजा सुनाई गई थी। वह कालका से विधायक थे।

कुलदीप सिंह सेंगर : भाजपा विधायक सेंगर को रेप मामले में दोषी करार दिए जाने के बाद फरवरी 2020 में यूपी विधानसभा की सदस्यता खोनी पड़ी थी।

जे. जयललिता : अन्नाद्रमुक की तत्कालीन प्रमुख जयललिता को आय से अधिक संपत्ति रखने के मामले में 4 साल कारावास की सजा सुनाई गई थी। इसके बाद सितंबर 2014 में तमिलनाडु विधानसभा की सदस्यता के लिए अयोग्य करार दिया गया था।

लालू प्रसाद यादव : राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के अध्यक्ष लालू प्रसाद को सितंबर 2013 में चारा घोटाला के मामले में दोषी करार दिया गया था। इसके बाद उनकी लोकसभा की सदस्यता चली गई। उस समय वह बिहार के सारण से सांसद थे।

रशीद मसूद : कांग्रेस से उत्तर प्रदेश से राज्यसभा सांसद रशीद मसूद को सितंबर 2013 में एमबीबीएस सीट घोटाला मामले में चार वर्ष जेल की सजा सुनाए जाने के मद्देनजर उच्च सदन की सदस्यता के लिए अयोग्य ठहराया गया था।

जगदीश शर्मा : बिहार के जहानाबाद सीट से जद(यू) के लोकसभा सांसद शर्मा को चारा घोटाला मामले में सितंबर 2013 में 4 वर्ष कारावास की सजा सुनाई गई थी। इसके बाद उन्हें लोकसभा की सदस्यता के अयोग्य करार दिया गया था।

आशा रानी : भाजपा विधायक आशा रानी को मध्यप्रदेश की बिजावर विधानसभा सीट से अयोग्य करार दिया गया था। उन्हें घरेलू सहायिका (मेड) को आत्महत्या के लिए उकसाने के मामले में दोषी करार दिया गया था।

एनोस एक्का : झारखंड के कोलेबिरा सीट से झारखंड पार्टी के विधायक एक्का के 2014 में सजा सुनाई गई थी, जिसके बाद उन्हें विधानसभा की सदस्यता के अयोग्य ठहराया गया था।

बबनराव घोलप : महाराष्ट्र के देवलाली से शिवसेना विधायक घोलप को आय के ज्ञात स्रोत से अधिक सम्पत्ति मामले में मार्च 2014 में तीन वर्ष के कारावास की सजा सुनाए जाने के मद्देनजर विधानसभा की सदस्यता से हाथ धोना पड़ा था।

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