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मणिपुर दौरे पर राहुल गांधी : राहत शिविरों में पीड़ितों का जाना हाल, CM बीरेन दे सकते हैं इस्तीफा

इंफाल। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने अपने मणिपुर दौरे के दूसरे दिन राहत शिविरों का दौरा किया। इसके बाद उन्होंने राज्यपाल अनुसुइया उइके से भी मुलाकात की। बता दें कि, मणिपुर में कुकी और मैतेई समुदाय के बीच 3 मई से हिंसा जारी है। जिसमें अब तक 131 लोगों की मौत हो चुकी है। वहीं अब अटकलें लगाई जा रहीं हैं कि सीएम बीरेन सिंह हिंसा की जिम्मेदारी लेते हुए इस्तीफा दे सकते हैं।

राहुल ने राज्यपाल से की मुलाकात

मणिपुर में फिर से शांति स्थापित करने के प्रयासों को लेकर वहां की राज्यपाल से मुलाकात की। इंफाल में कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने राजभवन में मणिपुर की राज्यपाल अनुसुइया उइके से मुलाकात की।

मणिपुर में नफरत के खिलाफ मोहब्बत की यात्रा

कांग्रेस ने राहुल के राहत शिविरों में पहुंचने की तस्वीरें ट्वीट करते हुए लिखा, ‘प्यार, भाईचारा और शांति का संदेश लेकर राहुल गांधी जी मणिपुर पहुंचे हैं। कल वे हिंसा के पीड़ितों और सिविल सोसाइटी के लोगों से मिले। उनका दुख बांटा, उनके आंसू पोछे, उन्हें हिम्मत दी। ये भरोसा दिलाया कि सब ठीक हो जाएगा। मणिपुर में नफरत के खिलाफ मोहब्बत की ये यात्रा आज भी जारी है।’

सीएम बीरेन सिंह के इस्तीफे की मांग

इससे पहले केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने भी मणिपुर का दौरा किया था और राहत शिविरों में जाकर पीड़ितों की बात सुनी थी। गृह मंत्री ने एक हफ्ते पहले दिल्ली में मणिपुर की स्थिति को लेकर 18 पार्टियों के साथ सर्वदलीय बैठक की थी। जिसमें सपा और आरजेडी ने मणिपुर के सीएम बीरेन सिंह के इस्तीफे की मांग की थी। इसके साथ ही वहां राष्ट्रपति शासन लगाने की भी मांग की थी।

क्या है मामला ?

मणिपुर में अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा देने की मैतेई समुदाय की मांग के विरोध में तीन मई को पर्वतीय जिलों में ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ के आयोजन के बाद झड़प हुई थी। दरअसल, ऑल ट्राइबल स्टूडेंट्स यूनियन मणिपुर (ATSUM) ने तीन मई को ‘आदिवासी एकता मार्च’ निकाला। ये रैली चुरचांदपुर के तोरबंग इलाके में निकाली गई। इसी रैली के दौरान आदिवासियों और गैर-आदिवासियों के बीच हिंसक झड़प हो गई। हालात को काबू करने के लिए पुलिस ने आंसू गैस के गोले दागे।

शाम तक हालात इतने बिगड़ गए कि राज्य सरकार ने केंद्र से मदद मांगी। जिसके बाद सेना और पैरामिलिट्री फोर्स की कंपनियों को वहां तैनात किया गया। ये रैली मैतेई समुदाय की अनुसूचित जनजाति का दर्जा दिए जाने की मांग के खिलाफ निकाली गई थी। मैतेई समुदाय लंबे समय से अनुसूचित जनजाति यानी एसटी का दर्जा देने की मांग हो रही है

मणिपुर की 53 प्रतिशत आबादी मैतेई समुदाय की है और ये मुख्य रूप से इंफाल घाटी में रहते हैं। आदिवासियों- नगा और कुकी की आबादी 40 प्रतिशत है और ये पर्वतीय जिलों में रहते हैं।

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