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इस्माइली मुसलमानों के नए धार्मिक लीडर बने रहीम अल-हुसैनी, पिता की वसीयत ने बनाया आगा खान

इस्माइली मुस्लिम समुदाय को उनका नया आध्यात्मिक लीडर मिल गया है। रहीम अल-हुसैनी (Rahim Al-Hussaini) को उनके दिवंगत पिता की वसीयत के आधार पर आगा खान पंचम (Aga Khan V) का दर्जा दिया गया है। इस घोषणा के साथ ही वे दुनियाभर के इस्माइली मुसलमानों के 50वें इमाम बन गए हैं।

पिता के निधन के बाद मिली नई जिम्मेदारी

रहीम अल-हुसैनी के पिता, आगा खान IV करीम अल-हुसैनी, का 4 फरवरी को 88 वर्ष की उम्र में पुर्तगाल में निधन हो गया था। वे इस्माइली समुदाय के 49वें इमाम थे और दुनियाभर में धार्मिक, सामाजिक और आर्थिक विकास कार्यों से जुड़े थे। उनके तीन बेटे और एक बेटी हैं, जिनमें रहीम सबसे बड़े हैं।

आगा खान डेवलपमेंट नेटवर्क (AKDN) ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X (पहले ट्विटर) पर यह जानकारी साझा की। 53 वर्षीय रहीम को अपने पिता की इच्छा के अनुसार इस्माइली समुदाय की आध्यात्मिक विरासत सौंप दी गई है।

बार्सिलोना और अमेरिका से पूरी की पढाई 

रहीम अल-हुसैनी जिनेवा और पेरिस में पले-बढ़े है। सर्दियों में वे स्विट्जरलैंड के सेंट-मोरिट्ज़ में रहते थे, जबकि गर्मियों में भूमध्य सागर के सार्डिनिया आइलैंड में समय बिताते थे। उन्होंने अमेरिका की ब्राउन यूनिवर्सिटी से लिटरेचर की पढ़ाई की और बाद में बार्सिलोना में बिजनेस मैनेजमेंट की शिक्षा ली।

इसके बाद वे अपने पिता द्वारा स्थापित आगा खान डेवलपमेंट नेटवर्क (AKDN) से जुड़ गए। वे इस नेटवर्क की कई संस्थाओं के बोर्ड मेंबर रहे हैं और पर्यावरण संरक्षण तथा जलवायु परिवर्तन जैसे मुद्दों पर विशेष रुचि रखते हैं।

अमेरिकी मॉडल से की थी शादी 

रहीम ने 2013 में अमेरिकी मॉडल केंड्रा स्पीयर्स (Kendra Spears) से शादी की थी, जिनका इस्लाम अपनाने के बाद नाम सलवा आगा खान रखा गया। इस दंपति के दो बेटे हैं। हालांकि, 2022 में दोनों का तलाक हो गया था।

आगा खान डेवलपमेंट नेटवर्क (AKDN) का योगदान

आगा खान डेवलपमेंट नेटवर्क दुनियाभर में शिक्षा, स्वास्थ्य और आर्थिक विकास से जुड़े कार्यों में सक्रिय है। यह संगठन 30 से अधिक देशों में काम करता है और इसका सालाना बजट करीब 1 बिलियन डॉलर है।

आगा खान के नाम से कई अस्पताल और स्वास्थ्य सुविधाएं संचालित की जाती हैं, खासकर उन देशों में जहां स्वास्थ्य सेवाओं की भारी कमी है। इनमें बांग्लादेश, ताजिकिस्तान और अफगानिस्तान शामिल हैं, जहां करोड़ों डॉलर का निवेश कर स्वास्थ्य और आर्थिक विकास को बढ़ावा दिया गया है।

आगा खान IV की विरासत

रहीम के पिता, करीम अल-हुसैनी, ने 1957 में अपने दादा सुल्तान महमूद शाह आगा खान के स्थान पर इस्माइली समुदाय के आध्यात्मिक गुरु का पद संभाला था। महारानी एलिजाबेथ द्वितीय ने उन्हें “महामहिम” (His Highness) की उपाधि से सम्मानित किया था।

उन्होंने अपने जीवन में इस्लामी संस्कृति और मूल्यों के संरक्षण के लिए काम किया और मुस्लिम समाज तथा पश्चिमी दुनिया के बीच एक मजबूत पुल बनाने में अहम भूमिका निभाई। वे सीधे तौर पर राजनीति से जुड़े नहीं थे, लेकिन सामाजिक और आर्थिक सुधारों में उनकी भूमिका महत्वपूर्ण रही।

नए आगा खान से क्या उम्मीदें?

रहीम अल-हुसैनी के नए आगा खान बनने के बाद, उनसे यह उम्मीद की जा रही है कि वे अपने पिता की तरह इस्माइली समुदाय के उत्थान और सामाजिक कार्यों को आगे बढ़ाएंगे। उनकी पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन में रुचि को देखते हुए, यह भी संभव है कि वे इस क्षेत्र में कुछ नए कदम उठाएं।

आगा खान का पद सिर्फ एक धार्मिक नेतृत्व नहीं बल्कि सामाजिक और आर्थिक विकास का भी प्रतीक है। रहीम की इस जिम्मेदारी को किस दिशा में लेकर जाते हैं, यह आने वाले समय में स्पष्ट होगा।

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