
नई दिल्ली। कतर की एक अदालत ने भारत की नौसेना के आठ पूर्व अफसरों को फांसी की सजा सुनाई है। आठों अफसरों को एक साल पहले से कतर में बंदी बनाकर रखा गया है। कतर की सरकार ने उनकी हिरासत के कारणों का खुलासा नहीं किया, लेकिन कहा जा रहा है कि सभी पर जासूसी का आरोप है। वहीं अफसरों को सजा मिलने के बाद भारत सरकार ने कहा है कि वह इससे अचंभित हैं और अपने नागरिकों को छुड़वाने के लिए सभी कानूनी विकल्पों को खंगाल रही है।
सिक्योरिटी एजेंसी के लिए कर रहे थे काम
सभी अफसर कतर में अल दहरा ग्लोबल टेक्नोलॉजीज एंड कंसल्टेंसी सर्विसेज के लिए काम करते थे। यह फर्म कतर की सेना और सिक्योरिटी एजेंसी को ट्रेनिंग और दूसरी सर्विसेज मुहैया कराती थी।
जासूसी का है आरोप
सूत्रों ने बताया कि सभी भारतीयों पर जासूसी का आरोप लगाया गया है। आठों भारतीयों पर इजराइल के लिए कुछ सबमरीन्स की जासूसी का आरोप है। इन सबमरीन्स में स्टेल्थ कैपेबिलिटी है जो इनका पता लगा पाना काफी मुश्किल बना देती है।
जिन अफसरों को मृत्यु दंड दिया गया है उनमें कैप्टन नवतेज सिंह गिल, कैप्टन सौरभ वशिष्ठ, कैप्टन बीरेंद्र कुमार वर्मा, कमांडर पूर्णेन्दु तिवारी, कमांडर सुग्नाकर पकाला, कमांडर संजीव गुप्ता, कमांडर अमित नागपाल और सेलर रागेश शामिल हैं। पिछले साल नवंबर में कंपनी के ओनर को भी गिरफ्तार किया गया था, लेकिन उसे बाद में छोड़ दिया गया।
एक महीने परिवार को जानकारी नहीं दी
कतर की इंटेलिजेंस एजेंसी के स्टेट सिक्योरिटी ब्यूरो ने सभी को 30 अगस्त 2022 को गिरफ्तार किया था। भारतीय दूतावास को सितंबर के मध्य में पहली बार इनकी गिरफ्तारी के बारे में बताया गया। इन भारतीयों को अपने परिवार के सदस्यों के साथ थोड़ी देर के लिए टेलीफोन पर बात करने की अनुमति 30 सितंबर को दी गई। पहली बार कॉन्सुलर एक्सेस 3 अक्टूबर को गिरफ्तारी के एक महीने बाद मिला। इस दौरान भारतीय दूतावास के एक अधिकारी को इनसे मिलने दिया गया।
विदेश मंत्रालय बोला-
हम परिवार के सदस्यों और कानूनी टीम के संपर्क में हैं, और सभी कानूनी विकल्प तलाश रहे हैं। इस पर बारीकी से नजर रख रहे हैं। हम सभी कांसुलर और कानूनी सहायता देना जारी रखेंगे। हम फैसले को कतर के अधिकारियों के समक्ष भी उठाएंगे।
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