ताजा खबरभोपालमध्य प्रदेश

बघेली में बधाई, धान रोपाई जैसे 16 तरह के लोकगीतों की दी प्रस्तुति

इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मानव संग्रहालय में ‘बघेली रंग फुहार’ महोत्सव का समापन

इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मानव संग्रहालय में बघेली रंग फुहार में बघेली गीतों और नृत्यों की रंगारंग प्रस्तुति दी गई, जिसके जरिए आयोजन में बघेली लोक संस्कृति की अनूठी झलक पेश की गई, जिसमें विभिन्न बघेली गीतों और नृत्यों का प्रदर्शन हुआ। लोकगीत के पीछे के मर्म को समझाते हुए संग्रहालय के निदेशक डॉ. अमिताभ पांडे ने कहा, खेत-खलिहानों में काम करते हए संगीत किसानों के मनोरंजन का सहारा होता है। महिलाएं घंटों खेत में काम इसलिए कर पाती हैं क्योंकि लोकगीतों की मिठास काम करते हुए उनके कानों में घुलती रहती हैं, वरना सोचिए घंटों खेतों में लगातार थका देने वाला काम किस तरह हो सकेगा। तीज-त्योहार पर फुर्सत के पलों में हर उत्सव के गीत संजोए जाते हैं तो एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी सुनकर ही आगे बढ़ाती जाती है। इसी संस्कृति से अवगत कराने यह आयोजन किया गया।

अलग-अलग अवसरों के खास बघेली लोकगीत

  • बधाई गीत : तुलसी महरानी, हरी की पटरानी
  • जौहार गीत : साहब सलाम
  • हरदी गीत : बनना के चढ़ रहा हरदी तेल
  • बन्नी गीत : धीरे-धीरे रेंगो बननी लागन नजरिया
  • दुआर गीत : लालन को कह लजवाया भीतर चला दुल्हन
  • गारी गीत : खानां बंद करा समधी सुनां गारी
  • राई नाच : बोदी-चमके लिलार कबरा के बड़ी
  • सोहर गीत : एक फल फुले कासी ता बनारस
  • टप्पा गीत : पान खाए ले मनोजी खैरजहां आय
  • वर्षा गीत : कुम्हर रे चारों खुट का बाखर
  • झूला गीत : झूले श्यामा प्यारी नी

विवाह के मौके पर रात भर होता है रमढोल नृत्य

मप्र जनजातीय संग्रहालय में दादूलाल डांडोलिया एवं साथी, छिंदवाड़ा द्वारा भारिया जनजातीय रमढोल नृत्य की प्रस्तुति दी गई। भड़म- नृत्य कई नामों से प्रचलित है, इसे गुन्नू साही, भड़नी, भड़नई, भरनोटी या भंगम नृत्य भी कहा जाता है। विवाह के अवसर पर किया जाने वाला यह समूह नृत्य भारियाओं का सर्वाधिक प्रिय नृत्य है। इसमें 20 से 60 पुरुष नर्तक और वादक भाग लेते हैं, इसमें ढोल, टिमकी और झांझ मुख्य वाद्य यंत्र होते हैं। ढोल, टिमकी और झांझ की समवेत ध्वनि दूर गरजने वाले बादलों की गंभीर घोष की तरह सुनाई देती है। थोड़े- थोड़े विश्राम के साथ यह नृत्य रात भर चलता है। अगले क्रम में पुष्पेंद्र साहू एवं साथी, टीकमगढ़ द्वारा बुंदेली बधाई नृत्य की प्रस्तुति दी गई। बुंदेलखण्ड अंचल में जन्म विवाह और तीज-त्योहारों पर बधाई नृत्य किया जाता है।

संबंधित खबरें...

Back to top button