
भोपाल। मध्यप्रदेश में लोकसभा चुनाव के नतीजों से सत्ता-संगठन के कई दिग्गज नेताओं के सियासी भविष्य भी जुड़ा हुआ है। भाजपा के वोट शेयर को मंत्री-विधायकों के अलावा संगठन के क्षेत्रीय नेताओं की लोकप्रियता से जोड़कर देखा जाएगा। अपेक्षित परिणाम न आने पर समीक्षा के बाद इन नेताओं की जवाबदारी तय होगी। नतीजों के अनुसार कई लोगों को नफा- नुकसान का सामना भी करना पड़ सकता है। विधानसभा के बजट सत्र के दौरान मंत्रिमंडल में फेरबदल की अटकलें भी हैं।
10 फीसदी वोट बढ़ाने का दिया था टारगेट
भाजपा हाईकमान ने मप्र में पार्टी के पक्ष में 10 फीसदी वोट शेयर बढ़ाने का टारगेट देकर सभी जिलों में बूथ स्तर पर मुहिम भी चलाई थी। सत्तासं गठन के नेताओं को हर बूथ पर 370 वोट बढ़ाने के लिए संवादसं पर्क के लिए भेजा गया था। भाजपा कोर कमेटी के अलावा विधायक दल की बैठक में भी सभी मंत्रीवि धायकों को अपने क्षेत्र में मेहनत करने की समझाइश दी गई थी।
डिप्टी सीएम राजेंद्र शुक्ल के विस क्षेत्र में 49 फीसदी हुई थी वोटिंग
पीडब्ल्यूडी मंत्री राकेश सिंह के विस क्षेत्र जबलपुर पश्चिम में 60 प्रतिशत मतदान हुआ था। वहीं डिप्टी सीएम राजेंद्र शुक्ल के रीवा विधानसभा क्षेत्र में मात्र 49 फीसदी वोटिंग हुई थी। तीसरे चरण में ग्वालियर में ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर की विस में 53 फीसदी वोट पड़े थे।
महाकोशल और विंध्य में ज्यादा रहा हाईकमान का फोकस
भाजपा हाईकमान का फोकस महाकोशल, विंध्य पर ज्यादा रहा। पीएम नरेंद्र मोदी ने शहडोल, जबलपुर और बालाघाट में सभाएं की। वहीं अमित शाह ने छिंदवाड़ा, सतना के दौरे रहे।
चुनाव के नतीजों के बाद बैठक में होगी समीक्षा: वीडी
प्रदेश भाजपा अध्यक्ष वीडी शर्मा का दावा है कि पिछले संसदीय चुनाव 2019 की तुलना में इस बार मप्र में भाजपा का वोट शेयर 10 फीसदी बढ़ने की संभावना है। इसके लिए पार्टी स्तर ने व्यापक स्तर पर अभियान चलाया था। 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा को मप्र में 58 प्रतिशत वोट मिले थे। इस बार उन्हें उम्मीद है कि सभी 29 सीटों पर भाजपा को कुल वोटिंग का 68 प्रतिशत वोट मिलेगा। उन्होंने यह भी कहा कि लोकसभा चुनाव के नतीजों के बाद बड़ी बैठकहोगी। इसमें वोटिंग का विश्लेषण और समीक्षा भी होगी। इसके आधार पर तय होगा कि किसकी क्या जवाबदारी और भूमिका रहेगी।
कई वरिष्ठ नेताओं की भूमिका बदलने की संभावना
4 जून को रिजल्ट आने के साथ ही यह भी स्पष्ट हो जाएगा कि प्रदेश की सभी 29 सीटों पर भाजपा के वोट प्रतिशत में कितनी बढ़ोतरी हुई। बेहतर रिजल्ट देने वाले जहां उपकृत होंगे वहीं कुछ पर गाज गिर सकती है। संगठन में भी कई नेताओं की भूमिका बदलने की संभावना है।
वोट शेयर से आंकी जाएगी मंत्रियों की लोकप्रियता
मप्र में छह महीने पहले हुए विधानसभा चुनाव में हुई वोटिंग की तुलना में कई सीटों पर लोकसभा की पोलिंग में काफी कमी आई है। बड़े अंतर से जीत दर्ज करने वाले मंत्री-विधायकों के विस क्षेत्रों की वोटिंग में बड़ा अंतर आया है। बुंदेलखंड, मालवा और विंध्य क्षेत्र में भी इसका असर देखा गया। पर्यटनसंस्कृति मंत्री धर्मेंद्र सिंह लोधी के निर्वाचन क्षेत्र जबेरा में तो पोलिंग में करीब 21 फीसदी की गिरावट दर्ज हुई है। आदिवासी बहुल झाबुआ-आलीराजपुर अंचल में ज्यादा अंतर नहीं रहा। पार्टी सूत्रों का कहना है कि पहले-दूसरे चरण के दौरान जिन क्षेत्रों में वोटिंग प्रतिशत में कमी है उसे क्षेत्रीय जनप्रतिनिधियों की लोकप्रियता से जोड़कर देखा जाएगा।