
बेंगलुरु। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को बांदीपुर और मुदुमलाल टाइगर रिजर्व का दौरा किया। उन्होंने 50 साल पूरे होने के मौके पर आयोजित कार्यक्रम का भी उद्घाटन किया। इस दौरान वे ब्लैक हैट, स्टाइलिश चश्मा, प्रिंटेड टी-शर्ट और खाकी रंग की हाफ जैकेट पहने नजर आए। इसी के साथ उन्होंने आज देश में बाघों की जनसंख्या के आंकड़े भी जारी कर दिए।
बाघों की संख्या में हुआ इजाफा
पीएम मोदी ने जो बाघों का नया आंकड़ा जारी किया है उसके मुताबिक, देश में बाघों की संख्या में 200 की बढोतरी हुई है। साल 2022 में देश में बाघों की संख्या बढ़कर 3167 हो गई है। बता दें कि 2018 के सेंसस में बाघों की संख्या 2,967 बताई गई थी। इससे पहले 2014 में यह संख्या 2226, वहीं 2010 में 1706 तो वहीं 2006 में 1411 थी।
देश में 53 टाइगर रिजर्व
कार्यक्रम के दौरान केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने कहा कि, देश में बाघों के संरक्षण की शुरुआत साल 1973 में नौ टाइगर रिजर्व क्षेत्रों के साथ हुई थी। आज इनकी संख्या 53 टाइगर रिजर्व तक पहुंच गई है। इनमें से 23 टाइगर रिजर्व को अंतर्राष्ट्रीय मान्यता मिली हुई है।
इंटरनेशनल बिग कैट्स एलायंस भी लॉन्च
इसके साथ ही उन्होंने अमृत काल के दौरान बाघों को बचाने के लिए सरकार के विजन और इंटरनेशनल बिग कैट्स एलायंस (IBCA) भी लॉन्च किया। पीएम ने स्मारक से जुड़ा एक सिक्का भी जारी किया। बता दें कि, IBCA दुनिया की सात बड़ी बिल्लियों – बाघ, शेर, तेंदुआ, हिम तेंदुआ, प्यूमा, जगुआर और चीता को बचाने और उनके संरक्षण का काम करेगा।
भारत की संस्कृति का हिस्सा है प्रकृति की रक्षा करना
पीएम मोदी ने मैसुरु में ‘इंटरनेशनल बिग कैट्स अलायंस’ की शुरुआत की। इस दौरान उन्होंने कार्यक्रम में मौजूद लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि, भारत ने न सिर्फ बाघों को बचाया है, बल्कि उनकी आबादी बढ़ने के लिए पारिस्थितिकी भी कायम की है।
उन्होंने कहा कि ‘प्रोजेक्ट टाइगर’ की सफलता न सिर्फ भारत, बल्कि पूरी दुनिया के लिए गर्व का विषय है। हम पारिस्थितिकी और अर्थव्यवस्था के बीच संघर्ष में विश्वास नहीं करते, हम उनके सह-अस्तित्व को महत्व देते हैं। भारत एक ऐसा देश है, जहां प्रकृति की रक्षा करना संस्कृति का हिस्सा है।
भारत में तेजी से बढ़ क्यों रही है आबादी ?
उन्होंने कहा कि जब अनेक टाइगर रिजर्व देशों में उनकी आबादी स्थिर है या आबादी घट रही है तो फिर भारत में तेजी से बढ़ क्यों रही है? इसका उत्तर है भारत की परंपरा, भारत की संस्कृति और भारत के समाज में बायो डायवर्सिटी को लेकर, पर्यावरण को लेकर हमारा स्वाभाविक आग्रह। एशियाटिक शेर रखने वाला हम दुनिया का इकलौता देश हैं। शेरों की आबादी 2015 में 525 से बढ़कर 2020 में 675 हो गई है। हमारे तेंदुए की आबादी केवल चार वर्षों में 60% से अधिक हो गई है।