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एससीओ शिखर सम्मेलन में बोले पीएम मोदी: अफगानिस्तान में हाल के घटनाक्रम ने बढ़ाईं चुनौतियां, इसका कारण बढ़ता कट्टरवाद

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए शंघाई सहयोग संगठन (SCO) सम्मेलन को संबोधित किया। अपने संबोधन के दौरान उन्होंने ताजिकिस्तान के लोगों को आजादी के 30वें पर्व की बधाई दी। पीएम ने कहा कि इस साल हम SCO की भी 20वीं वर्षगांठ मना रहे हैं। इस संगठन में नए लोग भी जुड़ रहे हैं, यह अच्छी बात है। नए साझेदारों के जुड़ने से SCO और भी विश्वसनीय बनेगा। प्रधानमंत्री ने ईरान का SCO के नए सदस्य देश के रूप में स्वागत किया। इसके अलावा तीन नए देश कतर, साऊदी अरब और मिस्र का भी स्वागत किया।

पीएम के संबोधन की प्रमुख बातें…

  • अपने संबोधन में पीएम ने कहा कि हमारे सामने सबसे बड़ी चुनौतियां शांति, सुरक्षा और विश्वास की कमी से संबंधित है। इनका मूल कारण बढ़ता हुआ कट्टरवाद है।
  • उन्होंने कहा कि अफगानिस्तान में हाल के घटनाक्रम में इस चुनौती को और स्पष्ट कर दिया है। इस मुद्दे पर SCO को पहल कर कार्य करना चाहिए।
  • उन्होंने कहा कि यदि हम इतिहास पर नजर डालें तो पाएंगे कि मध्य एशिया का क्षेत्र मॉडरेट और प्रोग्रेसिव कल्चर और बैल उसका का एक प्रकार से गढ़ रहा है।
  • सूफीवाद जैसी परंपराएं यहां सदियों से पनपीं और पूरे क्षेत्र और विश्व में फैली।
  • पीएम ने कहा कि भारत में और SCO के लगभग सभी देशों में, इस्लाम से जुड़ी उदारवादी, सहिष्णु और समावेशी संस्थाएं और परम्पराएं हैं।
  • SCO को इनके बीच एक मजबूत तंत्र विकसित करने के लिए काम करना चाहिए।
  • रैडिकलाइजेशन से लड़ाई, क्षेत्रीय सुरक्षा और आपसी हितों के लिए आवश्यक है। ये हमारे युवाओं के लिए भी जरूरी है।
  • हमें अपने प्रतिभाशाली युवाओं को तर्कसंगत सोच की ओर आगे बढ़ाना होगा। हमें SCO पार्टनर्स के साथ एक ओपन सोर्स तकनीक को शेयर करने में और कैपसिटी बिल्डिंग आयोजित करने में खुशी होगी।
  • कट्टरपंथ और असुरक्षा के कारण इस क्षेत्र की आर्थिक क्षमता भी अनछुई रह गई है।
  • खनिज संपदा हो या और कुछ हमें बढ़ती कनेक्टिविटी पर ध्यान देना होगा। मध्य एशिया हमेशा से कनेक्टिविटी के लिए लोकप्रिय रहा है।
  • भारत मध्य एशिया के साथ कनेक्टिविटी बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध है। हमारा मानना है कि चारों तरफ जमीन से घिरे मध्य एशियाई देशों को भारत के विशाल बाज़ार से जुड़ कर अपार लाभ हो सकता है।
  • कनेक्टिविटी की कोई भी पहल वन-वे नहीं हो सकती। इन प्रोजेक्ट्स को पारदर्शी और पार्टिसिपटेरी होना चाहिए।
  • इनमें सभी देशों की क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान होना चाहिए। एससीओ के इसके लिए उपयुक्त नियम बनाने चाहिए।
  • कनेक्टिविटी प्रोजेक्ट्स तभी हमें जोड़ने का काम करेंगे, न कि दूरी बढ़ाने का। इसके लिए भारत अपनी तरफ से हर कोशिश के लिए तैयार है।

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