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Bhutdi Amavasya 2023 : भूतड़ी अमावस्या पर बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने किया नर्मदा स्नान, लगता है भूतों का मेला; खतरनाक बाधाओं से ऐसे मिलती है मुक्ति

भोपाल। चैत्र नवरात्रि से पहले आने वाली अमावस्या को चैत्र अमावस्या के नाम से जाना जाता है वहीं इसको भूतड़ी अमावस्या भी कहा जाता है। इस दिन बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने नर्मदा-गंगा समेत पवित्र कुंडों में स्नान करते हैं। मान्यता है कि शरीर में लगी बुरी आत्माओं को भगाने के लिए यह एक दिन तय किया गया है, इसीलिए नर्मदा घाटों पर भूतों का मेला लगता है। इस दिन नर्मदा में डुबकी लगाने से प्रेत-आत्माओं, पितृदोष और बाहरी बाधाओं से मुक्ति मिलती है। वहीं, मोक्ष की प्राप्ति होती है।

चैत्र अमावस्या के अवसर पर मंगलवार सुबह से ही ओंकारेश्वर, नर्मदापुरम् समेत नर्मदा नदी के सभी घाटों पर हजारों श्रद्धालुओं ने आस्था की डुबकी लगाई। सुबह से नर्मदा नदी में स्नान का सिलसिला शुरू हो गया है।

ओंकारेश्वर में नर्मदा स्नान के लिए उमड़ी भीड़

मध्य प्रदेश की तीर्थनगरी ओंकारेश्वर, जहां 12 ज्योतिर्लिंग में से एक ओंकारेश्वर है। ओंकारेश्वर में भूतड़ी अमावस्या पर मंगलवार को सुबह से ही नर्मदा स्नान के लिए घाटों से लेकर मुख्य मार्ग तक जनसैलाब नजर आ रहा है। सोमवार शाम से ही श्रद्धालु यहां पहुंचने लगे थे। भीड़ के चलते मोरटक्का से ओंकारेश्वर के बीच मुख्य मार्ग पर जाम लगने से वाहनों की लगभग 5 किमी तक लंबी कतार लग गई है। ओंकारेश्वर में भीड़ को नियंत्रित करने के लिए प्रशासन द्वारा अस्थाई पुल से श्रद्धालुओं को संगम घाट की ओर भेजा जा रहा है। रात से अब तक करीब लाखों श्रद्धालु नर्मदा स्नान और ज्योतिर्लिंग दर्शन कर चुके हैं।

नर्मदापुरम में सुबह से स्नान-ध्यान जारी है

चैत्र अमावस्या के अवसर पर नर्मदापुरम् में भी हजारों श्रद्धालुओं ने नर्मदा में आस्था की डुबकी लगाई है। सुबह से दूरदराज से चलकर आने वाले श्रद्धालुओं का सेठानी घाट पर तांता लगा हुआ है। श्रद्धालु स्नान करने सेठानी घाट समेत अन्य घाटों पर पहुंचे। सुबह से ही नर्मदा तटों पर हर हर नर्मदे के जयघोष गूंज रहे हैं। स्नान के बाद श्रद्धालुओं ने विधि-विधान से मां नर्मदा की पूजा-अर्चना की और मां नर्मदा से सुख और समृद्धि की कामना की। सेठानी घाट में भूतड़ी अमावस्या को लेकर प्रशासन ने भी व्यवस्था के इंतजाम किए हैं।

भूतड़ी अमावस्या पर लगता भूत-प्रेतों का मेला

चैत्र माह की अमावस्या को चैत्र अमावस्या और भूतड़ी अमावस्या कहा जाता है। इस दौरान नर्मदा और गंगा के तटों पर भूतों का मेला लगता है। यहां पर इस दिन जिन लोगों को भूत-प्रेत सहित अन्य बाहरी बाधाएं होती हैं। वे यहां पर आकर नर्मदा-गंगा स्नान करते हैं और इन बाहरी बाधाओं से मुक्ति के उपाय करते हैं। यहां पर इन भूत-प्रेतों से बचाव करने वाले कई देवस्थानों से भी लोग आते हैं। यहां पर स्नान करने के बाद पुराने वस्त्र छोड़ जाते है व नए वस्त्र धारण करते हैं और पूजा-पाठ करके अपनी सिद्धियों को भी सिद्ध करते हैं।

सुबह से रात तक आती ढोल-ढमाकों की आवाज

दरअसल, वर्षों से चली आ रही इस परंपरा को आज भी लोग निभाते चले आ रहे हैं। इन लोगों का मानना है कि भूतड़ी अमावस्या वर्ष में एक बार ही आती है। इसके लिए इस दिन मां नर्मदा/गंगा में स्नान करना बेहद जरूरी होता है। भूतड़ी अमावस्या पर सुबह से लेकर रात ढोल-ढमाकों और अजीबो तरह की आवाज सुनाई देता है। इस दिन स्नान करने से जहां तन-मन में शुद्धता आती है तो वहीं बाहरी बाधाओं से भी मुक्ति मिलती है। स्नान के बाद लोग देवी देवता के भी दर्शन करते हैं।

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