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छोटे बच्चों को रील्स बनाने का चस्का लगवा रहे अभिभावक

पल्लवी वाघेला भोपाल। सोशल मीडिया पर लाइक्स और फॉलोअर्स बढ़ाने की होड़ में अभिभावक खुद अपने बच्चों को सोशल मीडिया कंटेंट बनाने में झोंक रहे हैं। जब बच्चे इसकी लत का शिकार होने लगते हैं तब अभिभावकों की चिंता बढ़ती है, लेकिन तब तक बच्चे एडिक्शन के चलते एग्रेसिव बिहेवियर दर्शाने लगते हैं। यह तथ्य चाइल्ड लाइन की काउंसलिंग और पुलिस एवं चाइल्ड लाइन द्वारा विभिन्न स्कूलों में चलाए गए साइबर अवेयरनेस प्रोग्राम के दौरान सामने आया है। इस दौरान जितने बच्चों से बातचीत हुई, उनमें से 80 फीसदी ने माना कि शुरुआत में उन्होंने अभिभावकों के कहने पर ही रील्स और अन्य कंटेंट बनाने की शुरुआत की।

बच्चे लाइक्स न मिलने के कारण तनाव में आ रहे

शहर के काउंसलर्स के पास भी ऐसे मामले पहुंच रहे हैं, जिनमें बच्चे, बड़ों की वजह से मोबाइल एडिक्शन का शिकार हुए हैं। बच्चों के साथ क्यूट कंटेंट क्रिएट किया जा सकता है और इसे अधिक लाइक्स मिलते हैं। मनोवैज्ञानिक काउंसलर डॉ. दीप्ति सिंघल ने बताया कि इससे बच्चों का डेवलपमेंट रूक जाता है। कुछ मामलों में बच्चे लाइक्स न मिलने के कारण तनाव, एंजाइटी और ईटिंग डिसऑर्डर का शिकार भी हो जाते हैं।

जान जोखिम में डालकर बच्चे बना रहे रील्स

  • सुभाष नगर स्थित पांच साल के बच्चे को सिर पर चोट लगने के कारण हॉस्पिटल लाया गया। दरअसल, कुछ दिन पहले बच्चे ने मां के साथ घर की खिड़की पर लटकते हुए रील बनाई थी। इससे प्रभावित बच्चा खुद खिड़की पर लटका, लेकिन गिर पड़ा।
  • 8 वर्षीय बच्चे ने स्कूल में छिपकर स्मोक करते हुए रील बनाने की कोशिश की। स्कूल वालों की नजर में आने पर डांट पड़ी तो बच्चा अग्रेसिव हो गया। काउंसिलिंग में बच्चे ने कहा कि पहले तो मम्मी-पापा और दीदी ही उससे रील्स बनवाते थे।

बच्चों को शामिल करने से बचें

हर महीने ऐसे तीन-चार केस आ रहे हैं, जिनमें बच्चे सोशल मीडिया पर गलत कंटेंट से एक्सपोज हो रहे हैं। अभिभावकों को चाहिए कि वह सोशल मीडिया के लिए कंटेंट तैयार करते वक्त बच्चों को इसमें शामिल ना करें। बाद में बच्चे खुद उत्सुकतावश इसके आदि हो जाते हैं। – राशि असवानी, को-ऑर्डिनेटर, सिटी चाइल्ड लाइन

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