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MP News : पकड़ में नहीं आ सकी पन्ना की बाघिन, शिवपुरी के माधव नेशनल पार्क में लाया जाना था

पन्ना। मध्य प्रदेश के पन्ना टाइगर रिजर्व से शुक्रवार को जिस एक बाघिन को शिवपुरी के माधव नेशनल पार्क में ले जाया जाना था, वह अभी तक पकड़ में नहीं आ सकी है। सूत्रों के अनुसार यहां से ले जाने के लिए जिस बाघिन का चयन किया गया है, उसकी उम्र लगभग सवा दो साल है। इसके चलते अब शिवपुरी 2 ही बाघ भेजे जाएंगे।

बाघिन को ट्रैंक्यूलाइज नहीं किया जा सका

इस बाघिन को ट्रैंक्यूलाइज करने का हरसंभव प्रयास किया गया, लेकिन चंचल स्वभाव की यह बाघिन हाथी को देखकर दूर निकल जाती है, जिससे उसको ट्रैंक्यूलाइज नहीं किया जा सका। नतीजतन नियत समय पर इस बाघिन की पन्ना से माधव नेशनल पार्क के लिए रवानगी नहीं हो सकी। शुक्रवार को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया द्वारा माधव राष्ट्रीय उद्यान में बाघ छोड़े जाएंगे।

पन्ना टाइगर रिज़र्व के क्षेत्र संचालक ब्रजेन्द्र झा ने बताया कि बाघिन को ढूंढने के प्रयास किए जा रहे हैं। इसके लिए हाथियों की मदद ली जा रही है, फिर भी अगर बाघिन नहीं मिली तो यहां से कोई दूसरी बाघिन को भेजेंगे।

27 साल बाद एक बार फिर से बाघ की दहाड़ सुनाई देगी

शिवपुरी के माधव नेशनल पार्क में 27 साल बाद एक बार फिर से बाघों की दहाड़ सुनाई देगी। माधव नेशनल पार्क में 1990- 91 तक काफी संख्या में बाघ हुआ करते थे, लेकिन अंतिम बार 1996 में यहां बाघ देखा गया था। अब माधव नेशनल पार्क एक बार फिर से बाघों से आबाद होने जा रहा है। टाइगर प्रोजेक्ट के तहत यहां कुल 5 बाघों को बसाए जाने की योजना है।

एक रिपोर्ट के अनुसार, 2010 से 2012 के बीच कुछ समय के लिए राजस्थान के बाघ एमएनपी के आसपास घूमते मिले थे। वन्यजीव विशेषज्ञों ने कहा कि एमएनपी में बाघ मुख्य रूप से शिकार के कारण खत्म हो गए।

एमएनपी में नहीं है कोई बाघ

शिवपुरी जिला मुख्यालय से 12 किमी दूर माधव नेशनल पार्क (एमएनपी) सटा है। पार्क विंध्याचल की पहाड़ियों पर बसा है। एमएनपी 375 वर्ग किमी के दायरे में फैला हुआ है। शर्मा ने कहा यह तीसरी बार है, जब मध्य प्रदेश वन विभाग एक वन्यजीव अभयारण्य में बाघ को फिर से बसाने जा रहा है। उन्होंने बताया कि एमएनपी में वर्तमान में कोई बाघ नहीं है। इससे पहले, पन्ना बाघ अभयारण्य और सागर के नौरादेही वन्यजीव अभयारण्य में बाघों को सफलतापूर्वक बसाया जा चुका है।

बाघों में रेडियो कॉलर लगाए जाएंगे

वन अधिकारियों के मुताबिक, एमएनपी में बाघों के लिए अच्छा शिकार उपलब्ध है। इसलिए केंद्र सरकार ने यहां बाघों को फिर से बसाने की योजना को मंजूरी दी है। अधिकारियों ने बताया कि एमएनपी में छोड़े जाने वाले बाघों में रेडियो कॉलर लगाए जाएंगे और जंगल में उन पर नजर रखने के लिए तीन दल गठित किए गए हैं।

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