
पन्ना। मध्य प्रदेश का पन्ना टाइगर रिजर्व न केवल बाघों के लिए प्रसिद्ध है, बल्कि यह गिद्धों का भी सुरक्षित घर है। यहां के घने जंगल, ऊंचे पहाड़ और गहरे सेहे न सिर्फ वनराज बाघों को लुभाते हैं बल्कि आकाश में ऊंची उड़ान भरने वाले गिद्धों के लिए भी आदर्श स्थल हैं। प्रदेश व्यापी गिद्ध गणना 2025 के तहत 17 से 19 फरवरी तक तीन दिवसीय गिद्ध गणना पूरी हो गई है, जिसमें पन्ना टाइगर रिजर्व में कुल 691 गिद्धों की उपस्थिति दर्ज की गई।
तीन दिनों में गिद्धों की गणना
- 17 फरवरी : 661 गिद्ध देखे गए।
- 18 फरवरी : 691 गिद्धों की सबसे अधिक संख्या दर्ज हुई।
- 19 फरवरी : 686 गिद्ध पाए गए।
पन्ना में गिद्धों की सात प्रजातियां
क्षेत्र संचालक अंजना सुचिता तिर्की के अनुसार, पन्ना में गिद्धों की कुल 7 प्रजातियां पाई जाती हैं। इनमें से चार प्रजातियां यहां की निवासी हैं, जबकि तीन प्रजातियां सर्दी के मौसम में प्रवास पर आती हैं। मप्र में पाई जाने वाली स्थानीय प्रजातियों में किंग वल्चर, लांग बिल्ड वल्चर, व्हाइट बैक्ड वल्चर और इजिप्शियन वल्चर प्रमुख हैं। प्रवासी प्रजातियों में हिमालयन वल्चर सबसे अधिक देखी जाती है, जो ठंड के मौसम में यहां घोंसले बनाकर अंडे देती है और मार्च में लौट जाती है।
गिद्धों का स्वर्ग है ‘धुंधुवा सेहा’
पन्ना टाइगर रिजर्व का धुंधुवा सेहा न केवल बाघों का पसंदीदा स्थल है, बल्कि गिद्धों के लिए भी स्वर्ग कहा जाता है। ठंड के दिनों में यहां की गहरी चट्टानों पर बड़ी संख्या में गिद्ध धूप सेंकते नजर आते हैं। पक्षी प्रेमियों के मुताबिक, इस क्षेत्र के आसमान में हर वक्त गिद्धों का मंडराना एक आम दृश्य है, जो पर्यटकों के लिए भी आकर्षण का बड़ा केंद्र बन गया है।
गिद्धों पर संकट के बादल
प्रकृति के सफाईकर्मी माने जाने वाले गिद्धों की संख्या में हाल के वर्षों में भारी गिरावट आई है। इसका प्रमुख कारण उनके रहवास स्थलों का उजड़ना और मवेशियों में दर्द निवारक दवा डायक्लोफेनाक का उपयोग है, जो गिद्धों के लिए विषाक्त साबित होती है। बावजूद इसके, पन्ना टाइगर रिजर्व गिद्धों के लिए एक सुरक्षित नैसर्गिक आश्रय बना हुआ है। अंजना सुचिता तिर्की ने बताया कि गिद्धों के संरक्षण के लिए पन्ना टाइगर रिजर्व में विशेष प्रयास किए जा रहे हैं ताकि यह क्षेत्र हमेशा इनके लिए सुरक्षित आशियाना बना रहे।