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नहीं रहीं पद्म विभूषण से सम्मानित सुश्री कुमुदिनी लाखिया, 94 साल की उम्र में ली अंतिम सांस; कथ्थक के एक युग का हुआ अंत

देश की जानी-मानी कथक नृत्यांगना और नृत्य गुरु कुमुदिनी लाखिया का निधन हो गया है। वे 94 साल की थीं। उनके निधन की जानकारी RJ देवकी ने सोशल मीडिया पर पोस्ट के ज़रिए दी और उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि दी।

RJ देवकी ने क्या कहा?

RJ देवकी ने अपनी पोस्ट में लिखा- “वे केवल नृत्य नहीं करती थीं, उन्होंने कथक को नए रूप में गढ़ा। अदालतों से लेकर अंतरराष्ट्रीय मंचों तक, परंपरा और नवाचार के बीच पुल बनाईं। उन्होंने हर प्रस्तुति को कविता बना दिया।”

उन्होंने आगे लिखा, “कदंब नृत्य केंद्र की संस्थापक, अनेक पुरस्कारों से सम्मानित, वे एक नर्तकी नहीं बल्कि एक आंदोलन थीं। आज कथक मौन है, लेकिन उनके घुंघरू हर दिल में गूंजते रहेंगे।”

भारतीय नृत्य को दिया नया रूप

कुमुदिनी लाखिया ने कथक को केवल शास्त्रीय नृत्य नहीं रहने दिया, बल्कि उसमें नवाचार और आधुनिकता का रंग भरकर उसे नई पीढ़ियों तक पहुंचाया। वे चाहती थीं कि युवा भी भारतीय नृत्य से जुड़ें और उसे आगे बढ़ाएं।

पुरस्कार और सम्मान

कुमुदिनी लाखिया को उनके अद्वितीय योगदान के लिए देश-विदेश में कई बड़े पुरस्कार मिले। इनमें शामिल हैं- पद्म श्री, पद्म भूषण, संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार और कई अंतरराष्ट्रीय सम्मान

कुछ समय पहले उन्हें पद्म विभूषण भी दिया गया था, जिस पर उन्होंने खुशी जताते हुए कहा था कि “यह दशकों की मेहनत का फल है। मैं खुश हूं कि हमने भारतीय नृत्य को नई पीढ़ी तक पहुंचाया है।”

अंतिम विदाई

कुमुदिनी लाखिया ने भारत ही नहीं, दुनियाभर में कथक को नई पहचान दी। आज जब वे हमारे बीच नहीं हैं, तब भी उनका योगदान हमेशा नृत्य की दुनिया में जीवित रहेगा।

कथक की दुनिया ने एक चमकता सितारा खो दिया है, लेकिन उनकी छाप हर मंच और हर ताल में हमेशा जिंदा रहेगी।

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