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मिट्टी की उर्वरता बचाने आर्गेनिक खेती, जीरो वेस्ट कॉन्सेप्ट पर बनाए जा रहे फेब्रिक टॉयज

विश्व पर्यावरण दिवस आज: शहरवासी अपने स्तर पर कर रहे यूनिक प्रयास

पर्यावरण के प्रति लोगों को सचेत करने के लिए हर साल विश्व पर्यावरण दिवस मनाया जाता है और प्रयास किया जाता है कि व्यक्तिगत व सामूहिक स्तर पर लोग धरा पर जीवन को सुरक्षित रखने के लिए जागरूक हो। धरतीवासी ऐसी जीवनशैली अपनाएं जिससे जन, जंगल, जमीन व जैव विविधता संरक्षित रहे। ऐसे ही प्रयास भोपाल शहर में रहने वाले कुछ लोग कर रहे हैं। कोई पेड़-पौधों से बच्चों व बड़ों का लगाव बढ़ाने के लिए उनकी क्यूआर कोडिंग का प्रोजेक्ट कर रहा है तो कोई लैंडफील पर जाने वाले कचरे को रोकने के लिए उनकी रीसाइक्लिंग कर रहा है। वहीं कुछ लोग आर्गेनिक खेती को बढ़ावा देने का काम कर रहे हैं ताकि मिट्टी की सेहत भी बनी रहे।

जीरो वेस्ट कॉन्सेप्ट पर कर रहे हैं काम

मैं जीरो वेस्ट कॉन्सेप्ट पर काम कर रही हूं जिसमें किसी वस्तु को उसको अंतिम स्तर तक इस्तेमाल करने की प्रेरणा शामिल होती है। सस्टेनेबल प्रोडक्ट में हाल में कपड़े के बने खिलौने तैयार किए हैं, जिन्हें भोपाल के ताज लेक फ्रंट द्वारा रेगुलर खरीदा जा रहा है। मुंबई के हाउस ऑफ एकम से भी ऑर्डर्स मिल रहे है। महिलाओं की टीम हैं जो केंद्र पर आकर कतरन से डिजाइनर सामग्री बनाती है। – पूजा आंयगर, डायरेक्टर, एमएसके

मिट्टी की उर्वरता के लिए आर्गेनिक फार्मिंग

अनंत मंडी में भोपाल, होशंगाबाद और विदिशा से किसान आते हैं जो कि आर्गेनिक फार्मिंग कर रहे हैं। हम गांधी भवन में हर रविवार को मार्केट आयोजित करते हैं जिसमें लोगों को ताजी और पेस्टिसाइड्स फ्री सब्जियां व फल मिलते हैं। जो लोग तसल्ली करना चाहते हैं वे किसानों के खेत जाकर भी विजिट करते हैं कि वाकई आर्गेनिक तरीका अपनाया जा रहा है है या नहीं। जिन लोगों को आर्गेनिक की जरूरत होती है, वे अपने घर पर दूध व उससे बने उत्पाद सीधे उत्पादक से मंगवा लेते हैं। दरअसल, आर्गेनिक फार्मिंग सिर्फ इंसान के लिए जरूरी नहीं है बल्कि यह मिट्टी की गुणवत्ता व उर्वरता के लिए भी जरूरी है। जमीन को आर्गेनिक स्थिति में लाने की भी प्रक्रिया होती है। – पीयूली घोष, फाउंडर, अनंत मंडी

क्यूआर कोडिंग से पहचानें पेड़ों को

सीएम राइज शासकीय महात्मा गांधी उच्चतर माध्यमिक विद्यालय के 9 वीं तथा 11वीं के विद्यार्थियों ने पर्यावरण को बचाने तथा पेड़ों के बारे में जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से अपने विद्यालय का बॉटनिकल सर्वे किया तथा अब वह पेड़ों के लिए क्यूआर बनाकर पेड़ों पर लगा रहे हैं। क्यूआर कोड को ऐप के द्वारा डेवलप किया गया है। मैंने यह देखा कि आजकल के बच्चे यह नहीं जानते कि फलां पेड़ कौन सा है लेकिन क्यूआर कोड के जरिए मोबाइल से स्कैन करके पेड़ की जानकारी उस पर लगे क्यूआर कोड से की जा सकती है। क्यूआर कोड में पौधे का वैज्ञानिक, अंग्रेजी तथा स्थानीय नाम के साथ साथ उसके पेड़, फूल, पत्ती, जड़, उसके औषधीय गुण के साथ ही उससे संबंधित अन्य जानकारियां उपलब्ध कराई गई है। – डॉ. अर्चना शुक्ला, सीनियर साइंस फैकल्टी

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