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बेंगलुरु में होने वाली विपक्ष की बैठक आगे बढ़ी : अब 17-18 जुलाई को बेंगलुरु में होगी, 23 जून को पटना में हुई थी पहली मीटिंग

बेंगलुरु। महाराष्ट्र की राजनीति में हुए बड़े उलटफेर के बीच बेंगलुरु में होने वाली विपक्षी दलों की बैठक को आगे बढ़ा दिया गया है। बता दें कि, 13-14 जुलाई को बेंगलुरु में विपक्षी महाजुटान की बैठक होने वाली थी। अब यह मीटिंग 17-18 जुलाई को बेंगलुरु में होगी। इस मीटिंग में पटना की मीटिंग में शामिल हुईं सभी पार्टियां बुलाई गईं हैं।

क्यों टाल दी गई बैठक

अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव में बीजेपी के खिलाफ तैयारी के सिलसिले में विपक्षी दलों की ओर होने वाली यह दूसरी बैठक थी। बिहार की राजधानी पटना में विपक्षी दलों की बैठक का आयोजन 23 जून को किया गया था। इस मीटिंग के बाद विपक्षी दलों की अगली बैठक 13-14 जुलाई को बेंगलुरु में किए जाने का फैसला किया गया था। लेकिन संसद सत्र के कारण इस मीटिंग को आगे बढ़ा दिया गया है। इसे आगे बढ़ाने के पीछे कारण कर्नाटक और बिहार में विधानसभा सत्र चलना बताया जा रहा है। इस कारण कई विपक्षी दलों के कई नेताओं का इस मीटिंग में आ पाना मुश्किल होता।

महिलाओं के लिए आरक्षण लागू करना चाहिए!

राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) प्रमुख शरद पवार ने कहा कि समान नागरिक संहिता (UCC) के बारे में चर्चा करने से पहले केंद्र सरकार को लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में महिलाओं के लिए आरक्षण लागू करना चाहिए। पवार ने संवाददाता सम्मेलन में यह भी कहा कि पटना में विपक्षी दलों की बैठक के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी परेशान हो गए हैं।

UCC पर क्या बोले शरद पवार ?

यूसीसी मुद्दे को लेकर हो रही बहस पर शरद पवार ने कहा कि राकांपा विभिन्न समुदायों के सुझावों और मांगों पर गौर करने के बाद अपना रुख स्पष्ट करेगी। लेकिन उससे पहले विधानसभाओं और लोकसभा में महिलाओं को आरक्षण दिया जाना चाहिए, जो काफी समय से लंबित है। उनसे महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस के इस दावे पर प्रतिक्रिया मांगी गई थी कि 2019 में अजित पवार के नेतृत्व में राकांपा विधायकों के एक समूह के साथ महाराष्ट्र में सरकार बनाने की भाजपा की योजनाओं के बारे में पवार को जानकारी थी। इस पर राकांपा प्रमुख ने कहा कि ऐसी टिप्पणियां करने के बदले फडणवीस को राज्य में महिला सुरक्षा पर ध्यान देना चाहिए। राकांपा प्रमुख ने कहा कि मणिपुर ‘जल रहा है’ लेकिन मोदी सरकार स्थिति पर काबू पाने के लिए कोई कदम नहीं उठा रही है।

23 जून को पटना में हुई थी पहली बैठक

बता दें कि इससे पहले 23 जून को पटना में 15 विपक्षी दलों की एकजुटता बैठक हुई थी। इसमें ममता बनर्जी, अरविंद केजरीवाल, भगवंत मान, एमके स्टालिन समेत छह राज्यों के सीएम और अखिलेश यादव, उद्धव ठाकरे, महबूबा मुफ्ती समेत 5 राज्यों के पूर्व सीएम शामिल हुए थे। साथ ही राहुल गांधी और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे भी बैठक में मौजूद रहे थे। बैठक में 2024 के लोकसभा चुनाव और पीएम नरेंद्र मोदी व बीजेपी को सत्ता से हटाने को लेकर रणनीति पर चर्चा हुई।

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