
नरेन्द्र सिंह-जबलपुर। सर्दी शुरू होते ही हरी मटर का स्वाद घर-घर पहुंच जाता है। लेकिन इस बार यह स्वाद कुछ ज्यादा ही महगा लग रहा है। देश के दूरस्थ प्रांतों तक जाने वाला जबलपुरिया मटर इस बार कम आवक के चलते चर्चा में है। गत वर्ष 7 दिसंबर को जहां मटर 20 रुपए किलो आसानी से उपलब्ध था तो इस बार यह फुटकर बाजार में 80 रुपए है। इसकी वजह बताई जा रही है कि मटर की आवक अभी मंडियों में कम हो रही है। गत वर्ष किसानों को आखिर में मटर की तुड़ाई तक नहीं मिल पाई थी क्योंकि इसकी कीमत 6 रुपए किलो तक गिर गई थी,यही वजह है कि छड़के किसानों ने इस बार कम रकबे में मटर लगाया है।
महाराष्ट्र, दिल्ली, गुजरात, आंध्र, तमिलनाडु से लेकर अन्य कई प्रांतों में जाने वाला मटर इस बार कम मात्रा में जा रहा है। इस बार मौसम में गड़बड़ी से भी मटर की फसल लेट हुई है। मटर में पूर्व कमिटमेंट व्यापारियों द्वारा नहीं किया जाता। उपलब्धि के उपरांत ही सौदा किया जाता है। बड़े व्यापारी मटर की आवक बढ़ने की प्रतीक्षा कर रहे हैं। हालांकि कुछ किसानों का कहना है कि इस बर दाम कुछ ज्यादा ही रह सकते हैं।
ये हैं कम आवक की वजहें
- पिछले साल सीजन के अंत में मटर के रेट 6 रु. किलो तक किसानों को मिले थे। इस कारण मटर तुड़ाई तक नहीं निकल पाई। इसीलिए इस बार कम किसानों ने मटर की बुवाई की।
- इस साल बरसात अधिक हुई है मानसूनी सीजन के अंत तक तेज बारिश होने से बोनी लेट हुई इस वजह से फसल भी लेट हुई है।
- गत वर्ष तापमान अधिक होने से बीज के रेट बढ़ गए और इसका बीज 15 से 20 हजार रुपए प्रति क्विंटल मिला। महंगा बीज होने से भी किसानों ने मटर बोने से अरुचि दिखाई।
फैक्ट फाइल
- 20 रुपए किलो दाम थे गत वर्ष दिसंबर के पहले हफ्ते में
- 80 रुपए हैं इस बार वर्तमान में दाम प्रति किलो
- 40 हजार हेक्टेयर में हुई है जिले में मटर की बोवनी
- 50 हजार हेक्टेयर में हुई थी गत वर्ष बोवनी
इस बार मटर की बोवनी कम हुई है जिले में करीब 40 हजार हेक्टेयर में मटर बोया गया है। बोवनी के लेट होने से फसल भी लेट हुई है। -केके अग्रवाल, अध्यक्ष,भारतीय किसान संघ
पिछले साल किसानों को मटर में बहुत नुकसान हुआ था जिसकी वजह से इस बार कम किसानों ने मटर लगाया है। अभी मटर के दाम ज्यादा हैं क्योंकि आवक कम है। -राघवेन्द्र सिंह पटेल, कृषक
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