
भोपाल। विधानसभा चुनाव और सरकार गठन के बाद मध्यप्रदेश भाजपा संगठन में एक व्यक्ति एक पद का फॉर्मूला लागू होने की क वायद चल पड़ी है। चुनाव के बाद संगठन के कई पदाधिकारी मंत्री और विधायक बन गए हैं। पार्टी के दिग्गज नेता कैलाश विजयवर्गीय ने मंत्री बनने के बाद एक व्यक्ति एक पद का हवाला देते हुए राष्ट्रीय महामंत्री पद से इस्तीफा देकर पार्टी में हलचल बढ़ा दी है। नारायण कुशवाह, कृष्णा गौर, संपतिया उइके और नरेंद्र पटेल मंत्री बन चुके हैं। भाजपा संगठन में नए चेहरों को आगे लाने की चर्चा है।
मंत्री/विधायक संगठन में पद
नारायण कुशवाह ओबीसी मोर्चा अध्यक्ष
कृष्णा गौर ओबीसी राष्ट्रीय उपा.
नरेंद्र पटेल सह प्रभारी मीडिया
भगवान दास सबनानी महासचिव/का. प्रभारी
हरिशंकर खटीक महासचिव
ललिता यादव प्रदेश उपाध्यक्ष
अनिल जैन सह कोषाध्यक्ष
बहादुर सिंह चौहान उपाध्यक्ष
नागर सिंह चौहान उपाध्यक्ष
मनीषा सिंह प्रदेश मंत्री
विजयवर्गीय ने मंत्री बनते ही संगठन का पद छोड़ा
मंत्री पद की शपथ लेने के दो दिन बाद ही वरिष्ठ नेता कैलाश विजयवर्गीय ने राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से मिलकर एक व्यक्ति एक पद फॉर्मूला का हवाला देते हुए राष्ट्रीय महामंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था। इसके बाद प्रदेश भाजपा संगठन के अन्य पदाधिकारियों को लेकर मंथन तेज हो गया है। राज्य मंत्री बनाई गईं कृष्णा गौर भाजपा अन्य पिछड़ा वर्ग मोर्चा की राष्ट्रीय टीम में पदाधिकारी हैं जबकि नरेंद्र पटेल मीडिया में सह प्रभारी के दायित्व में हैं।
पदाधिकारियों पर दबाव
हालांकि संगठन के प्रमुख पदों पर कई सांसद और विधायक पहले से ही हैं। चुनाव के बाद कुछ पदाधिकारी मंत्रीवि धायक चुन लिए गए हैं। भाजपा ओबीसी मोर्चा अध्यक्ष कुशवाह का कहना है कि फिलहाल वह मोर्चा की कमान संभाले हुए हैं। मंत्री बन जाने के बाद संगठन के पदों में बदलाव होगा।
जरूरी हुआ तो बदलाव: वीडी
प्रदेश भाजपा अध्यक्ष वीडी शर्मा ने ‘पीपुल्स समाचार’ से चर्चा में बताया कि जिला अथवा प्रदेश इकाई में जहां आवश्यक होगा वहां बदलाव किए जाएंगे। यह रुटीन कार्रवाई है।
प्रदेश संगठन के साथ जिलों में भी लटकी है तलवार
प्रदेश इकाई में भगवानदास सबनानी प्रदेश महामंत्री के साथ कार्यालय प्रभारी भी हैं। वे भोपाल दक्षिण-पश्चिम क्षेत्र के विधायक चुने गए हैं। इसी तरह कुछ अन्य पदाधिकारी भी दोहरी भूमिका में हैं। भाजपा को चुनाव में जिन जिलों में हार का सामना करना पड़ा ऐसे जिलों में भी संगठन ने अपने जिलाध्यक्षों की सक्रियता और भूमिका का आकलन शुरू कर दिया है। हरदा जिलाध्यक्ष को बदलकर इसकी शुरुआत हो चुकी है। हालांकि जिलाध्यक्ष को पांच साल हो चुके थे लेकिन चुनाव में भाजपा को जिले की दोनों सीटों पर हार का सामना करना पड़ा था। कुछ अन्य जिलों में भी बदलाव की संभावना है।
(इनपुट-राजीव सोनी)