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क्लासिक के नाम पर घसीटे जा रहे पुराने नाटक, नए लेखकों को नहीं मिलता मौका : मकरंद

सेलिब्रेटी इन सिटी : थिएटर फेस्ट में आए एक्टर मकरंद देशपांडे से आईएम भोपाल की खास बातचीत

अनुज मैना- हमने ओटीटी प्लेटफॉर्म से सिर्फ गलत ही सीखा है, सिर्फ अश्लीलता ली है। इंटरनेशनल एक्सपोजर में वहां पर जो फ्रीडम है उसमें न्यूडिटी, जोक्स ऑन पर्सनालिटी ये सब वहां का कल्चर है। इसे हम अपने कल्चर में इतनी आसानी से नहीं अपना सकते। अगर हम उसे ले रहे हैं तो उसके बुरे परिपेक्ष्य में ले रहे हैं, इसलिए वह गलत होता जा रहा है। यह बात अभिनेता और वरिष्ठ रंगकर्मी मकरंद देशपांडे ने आईएम भोपाल के साथ विशेष चर्चा में कही। वे रवींद्र भवन में आयोजित इंडीमून्स आर्ट्स फेस्टिवल में परफॉर्म करने के लिए भोपाल आए थे। उन्होंने कहा कि वर्तमान समय में यूथ को पर्याप्त मौका नहीं दिया जा रहा है। पुराने रंगकर्मी कहते हैं कि यूथ नए नाटक नहीं लिख रहे हैं, लेकिन वो नाटक लिखेंगे तो आप उन्हें लेंगे क्या? वे नए नाटकों को नहीं लेंगे, बल्कि कहेंगे शेक्सपियर का नाटक अच्छा है उसे कर लो।

देवी-देवताओं के नाटकों को मिलते हैं ज्यादा दर्शक

मकरंद देशपांडे ने कहा कि पुराने समय में कुछ लोगों ने अपने नाटकों को क्लासिक बोल दिया, उन्हीं नाटकों का दूसरी भाषाओं में अनुवाद कर दिया और हम उन्हीं नाटकों को करते रहते हैं। क्लासिक के नाम पर वही घसीटा जा रहा है। इसलिए मैं अपने नाटक को प्रिंट ही नहीं करना चाहता, नहीं तो लोग रुक जाएंगे। उन्होंने कहा कि अब एक अलग ट्रेंड आ गया है, भगवान पर नाटक कर लो सेफ है। देवी-देवताओं पर तैयार नाटकों को देखने के लिए अब दर्शक महंगे टिकट लेकर भी जाते हैं। हालांकि, दूसरे नाटकों में दर्शकों की कमी देखने को मिलती है।

इंडीमून्स आर्ट्स फेस्टिवल में ‘सर सर सरला’ का मंचन‘

प्रेम जितना सरल दिखता है वो होता नहीं है। कहते है प्रेम की सरहद पर एक दरबान खड़ा रहता है…’ कुछ इसी तरह के संवाद बुधवार को रवींद्र भवन में सुनाई दिए। मौका था, रवींद्र भवन में चल रहे इंडीमून्स आर्ट्स फेस्टिवल में मकरंद देशपांडे द्वारा लिखित, निर्देशित और अभिनीत नाटक ‘सर सर सरला’ की प्रस्तुति का। नाट्य प्रस्तुति में दिखाया कि एक प्रोफेसर और उसके तीन शिष्य है फणीधर, सरला और केशव। केशव का विवाह सरला के साथ विवाह होता है। तीनों के हृदय में प्रेम की अनुभूति का उपजना स्वाभाविक है। सरला के मन में प्रोफेसर के लिए प्रेम है और दूसरी तरफ फणीधर के मन में सरला के लिए, जबकि सरला का विवाह केशव से वर्षों पहले ही हो चुका है। फणीधर के खुद को लेकर और प्रोफेसर को लेकर कुछ सवाल हैं और सरला को लेकर भी, जिससे वे दोनों पुरानी यादों में जाते हैं, बीती यादों में जाकर कुछ सुलझाना कुछ बताना चाहते हैं। नाटक का सबसे महत्वपूर्ण टूल है अभिनेता का अभिनय और इतने लगभग दो घंटे नाटक में मंच पर मात्र तीन कलाकार अपनी भूमिका का निर्वाह सफलता से करते हुए प्रतीत हुए। प्रोफेसर की भूमिका में स्वयं मकरंद देशपांडे नजर आए।

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