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चीनी थैरेपी से होगा सिर्फ 11 हजार रु. में कैंसर का इलाज

ऑन्कोलाइटिक वायरस थैरेपी कैंसर के ट्यूमर को करती है नष्ट

बीजिंग। चीन के वैज्ञानिकों ने कैंसर के इलाज के लिए एक नई और सस्ती तकनीक विकसित की है, जिसे ‘ऑन्कोलाइटिक वायरस थैरेपी’ कहा जाता है। यह तकनीक कैंसर के ट्यूमर को नष्ट करने और शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को सक्रिय करने में सक्षम है। यदि यह तकनीक बड़े पैमाने पर सफल होती है, तो कैंसर का इलाज अब अधिक प्रभावी और किफायती हो सकता है। अभी तक कैंसर के इलाज के लिए इस्तेमाल की जाने वाली सीएआर-टी थैरेपी की कीमत करीब 1.16 करोड़ रुपए प्रति डोज होती है, जबकि ऑन्कोलाइटिक वायरस थैरेपी का एक इंजेक्शन केवल 11 हजार रुपए में उपलब्ध हो सकता है। सालभर की इस थैरेपी की कुल लागत करीब 3.3 लाख रुपए तक हो सकती है, जो मौजूदा कैंसर उपचार की तुलना में काफी सस्ती है।

चल रहे 60 क्लीनिकल ट्रायल

यह तकनीक कोई नई नहीं है, बल्कि इसे लेकर शोध करीब 100 साल पहले शुरू हुआ था। हालांकि, हाल के वर्षों में जेनेटिक इंजीनियरिंग की मदद से इसकी क्षमता में सुधार हुआ है। अब तक इस तकनीक का उपयोग कुछ देशों जैसे अमेरिका और जापान में हो चुका है, लेकिन चीन इस क्षेत्र में तेजी से आगे बढ़ रहा है। चीन में इस तकनीक पर करीब 60 क्लीनिकल ट्रायल चल रहे हैं, जिनसे उम्मीद की जा रही है कि यह इलाज आम लोगों के लिए सुलभ और किफायती हो सकेगा।

ऐसे काम करती है ऑन्कोलाइटिक वायरस थैरेपी

  •  ऑन्कोलाइटिक वायरस को वैज्ञानिकों ने इस तरह से विकसित किया है कि ये वायरस सीधे कैंसर कोशिकाओं में प्रवेश करते हैं।
  • इसके बाद ये वायरस अपनी संख्या बढ़ाते हैं और अंतत: कैंसर कोशिकाओं को नष्ट कर देते हैं।
  • ये वायरस शरीर की प्रतिरोधक प्रणाली को सक्रिय कर सकते हैं।

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