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छतरपुर से 340 किमी पैदल चलकर सीएम को राखी बांधने आई गरीब विमला को अफसरों ने रोका, मायूस होकर लौटी

भोपाल। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान प्रदेश की बहनों को राखी के तोहफे के रूप में 250-250 रुपए दिए हैं। बहनें भी उन्हें राखी बांधकर, भेजकर अपना स्नेह प्रदर्शित कर रही हैं। लेकिन, छतरपुर से करीब 340 किमी पैदल चलकर मुख्यमंत्री को राखी बांधने मंगलवार को उनके निवास पहुंची गरीब विमला बाई की हसरत पूरी नहीं हो सकी। अफसरों ने पहले से अपॉइंटमेंट न होने का हवाला देते हुए उसे सीएम से नहीं मिलने दिया।

घंटों बैठने के बाद निराश होकर लौट गई। विमला (30) ने पीपुल्स समाचार से कहा- हमें नहीं पता था कि एक बहन को भाई से मिलने के लिए परमिशन भी लेनी पड़ती है। विमला और उसके पति हरि प्रजापति छतरपुर में ईंट-भट्टे पर काम करते हैं। विमला ने बताया कि मुख्यमंत्री के हाथ में राखी बांधने का संकल्प लेकर 15 अगस्त को वह पति के साथ पैदल निकली थी। मंगलवार सुबह 10:30 बजे हम सीधे सीएम हाउस पहुंचे।

5 घंटे किया इंतजार

अधिकारियों को सीएम से मिलने के साथ राखी बांधने की इच्छा जताई, लेकिन उन्होंने अनुमति नहीं होने के कारण मिलने नहीं दिया। उसने बताया कि 4-5 घंटे इंतजार करने के बाद बताया गया कि अभी सीएम साहब नहीं हैं। ऐसे में निराश होकर रात 8:00 बजे छतरपुर जाने के लिए नादरा बस स्टैंड पहुंचे।

 

राखी नहीं बांधने का मलाल

विमला ने कहा कि वह सीएम द्वारा चलाई जा रही योजनाओं से काफी प्रभावित हैं। लाड़ली बहना योजना से उन्हें 1 हजार रुपए मिले हैं, इसलिए पैदल चलकर शिवराज भैया की कलाई पर राखी बांधकर धन्यवाद करने आए थे। राखी नहीं बांध पाने का मलाल रहेगा।

मुख्यमंत्री को राखी बांधने की खुशी के कारण भूल गई थी दर्द

छतरपुर से करीब 340 किमी पैदल चलकर भोपाल आने के कारण पति-पत्नी दोनों के पैरों में छाले पड़ गए थे। उन्होंने कहा कि पैदल चलना काफी कठिन था, लेकिन सीएम को राखी बांधने की खुशी के कारण दर्द भूलकर पैदल चलते रहे।

14 हजार रुपए हुए खर्च

हरि प्रजापति ने बताया जब पैदल यात्रा शुरू की थी, उस समय 14 हजार रुपए लेकर चले थे, लेकिन सारे पैसे रास्ते में खर्च हो गए। अब मात्र जैब में 500 रुपए बचे हैं। उन पैसों का उपयोग वापस जाने के लिए करेंगे।

(इनपुट-मनोज चौरसिया)

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