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अब नहीं होंगे फ्री एंट्री वाले शो, 27 साल बाद रंगमंच में लौट रहा टिकट कल्चर

बैठक में रंगकर्मियों ने संयुक्त रूप से लिया निर्णय, दर्शकों से ली जाएगी सहयोग राशि

अनुज मीणा- शहर के थिएटर में करीब 27 साल बाद टिकट कल्चर वापस आ गया है। पिछले कुछ महीनों में विभिन्न थिएटर ग्रुप्स द्वारा टिकटिंग के आधार पर कई नाटकों के शो आयोजित किए गए। इन नाटकों में टिकट की कीमत 50 रुपए से लेकर 500 रुपए तक थी। भारत भवन में आखिरी बार 1997 में टिकट के साथ नाटक का मंचन हुआ था। अब टिकट होने के बाद भी बड़ी संख्या में दर्शक नाटक देखने के लिए ऑडिटोरियम जा रहे हैं और कई शो हाउसफुल भी रहे। हम थिएटर ग्रुप ने पिछले साल सितंबर में रवींद्र भवन में अंधायुग का मंचन किया था, जिसके टिकट की कीमत 100 रुपए थी और यह शो सफल रहा। इसी ग्रुप ने रवींद्र भवन में नाटक पॉपकॉर्न के लिए टिकट की कीमत 200 रुपए और आगरा बाजार के लिए 500 रुपए रखी थी।

42 साल पहले भारत भवन में नाटक देखने के लिए लेना होता था टिकट

1981-82 में भारत भवन में जब नाटक होते थे तब 2 से 5 रुपए तक के टिकट लेकर लोग नाटक देखने के लिए आते थे। उस समय मुख्यमंत्री को भी नाटक देखने के लिए टिकट लेना पड़ता था, लेकिन बीच में कुछ थिएटर ग्रुप्स द्वारा नि:शुल्क एंट्री शुरू कर दी गई क्योंकि उन्हें लगता था कि दर्शक उनका नाटक देखने के लिए नहीं आएंगे। करीब 7 साल पहले मैंने फिर नाटक शुरू किए तो हमने किसी शो में फ्री एंट्री नहीं दी। पिछले दिनों रंगकर्मियों की बैठक में संस्थाओं से कहा गया कि नाटकों की कहानी और परफॉर्मेंस की क्वालिटी को ठीक किया जाए और टिकट रखें, ताकि दर्शक टिकट लेकर भी नाटक देखने के लिए आएं। अब लगभग सभी संस्थाओं द्वारा सहयोग राशि ली जा रही है। शो के लिए डायरेक्टर को हॉल व प्रोडक्शन पर काफी खर्च करना पड़ता है। दर्शकों को भी चाहिए कि वे शहर के रंगकर्म को नए मुकाम पर पहुंचाने के लिए सहयोग राशि दें। – राजीव वर्मा, वरिष्ठ रंगकर्मी व डायरेक्टर

बैठक में लिया निर्णय, सहयोग राशि लेंगे

हमारी संस्था द्वारा 2015-16 से नाटकों में पेड एंट्री रखी जा रही है, लेकिन कई संस्थाओं द्वारा नि:शुल्क एंट्री दी जा रही थी। करीब एक माह पहले रंगकर्मियों की बैठक हुई थी, जिसमें यह निर्णय लिया गया कि नाटक देखने के लिए दर्शकों को सहयोग राशि देनी होगी। अब हम नि:शुल्क एंट्री वाले शो नहीं करेंगे। अब सभी नाट्य प्रस्तुतियों में दर्शकों को एंट्री शुल्क देना होगा। जब लोग सिनेमाघरों में फिल्म देखने के लिए टिकट लेकर जा सकते हैं तो फिर हम तो लाइव परफॉर्मेंस कर रहे हैं। हमारा मानना है कि अगर हम दर्शकों में यह आदत डालेंगे तो वास्तविक दर्शक हमारे नाटकों को देखने के लिए जरूर आएंगे। सोमवार को शहीद भवन में मंचित नाटक नर-नारी: थैक्यू बाबा लोचनदास में 99 रुपए टिकट राशि रखी गई। – आदर्श शर्मा, त्रिकर्षि नाट्य संस्था

11 पुरुषों ने महिला बनकर की एक्टिंग

सोमवार को शहीद भवन में नाग बोडस द्वारा लिखित नाटक ‘नर-नारी: थैंक्यू बाबा लोचनदास’ का मंचन किया गया, जिसका निर्देशन आदर्श शर्मा ने किया। देखने में यह हास्य नाटक लगता है लेकिन नर-नारी के जीवन को समझाने का प्रयास करता दिखता है। यह नाटक मनोवैज्ञानिक गुण भी समेटे हुए नजर आता है। इस नाटक में 11 पुरुषों ने औरतों का रूप धारण कर मंच पर अभिनय किया। नाटक में कांतिलाल अपने संवाद में कहता है कि जब मैं बनता हूं एक औरत, तब अपने अंदर के आदमी को साबित करता हूं पूरा झूठा… और जब रहता हूं आदमी, तो अपने अंदर की औरत को तुममें देखने की कोशिश करता हूं। सच्ची बात तो यह है चमेली जान कि हर आदमी के अंदर अपने चाह की एक औरत होती है। अब यह बात अलग है कि यह चाह कभी पूरी नहीं होती। इस नाटक की खास बात यह रही कि इसे देखने के लिए 99 रुपए का टिकट रखा गया था, इसके बाद भी ऑडिटोरियम हाउस फुल रहा।

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