ताजा खबरभोपालमध्य प्रदेश

अब टांके लगाने की जरूरत नहीं, चोटिल अंगों को चिपका देगा बायोमेडिकल पदार्थ

IISER भोपाल ने हासिल की बड़ी सफलता

रामचंद्र पाण्डेय- भोपाल। एक्सीडेंट या काम करते समय मशीनरी से लगी चोट के बाद आमतौर पर घाव में टांके लगाने पड़ते हैं, जिसका निशान हमेशा शरीर पर रहता है। लेकिन, अब घावों में टांके लगाने की जरूरत नहीं पड़ेगी। भारतीय विज्ञान शिक्षा एवं अनुसंधान संस्थान (आईसर) भोपाल के शोधकर्ताओं ने एक पारदर्शी सिंथेटिक और चिपकने वाला बायोमेडिकल पदार्थ विकसित किया है, जो घायल अंगों और टूटे ऊतकों को प्रभावी ढंग से ठीक कर देगा। यह पदार्थ गीले घावों में बराबर काम करेगा।

शोधकर्ताओं का दावा है कि चिपकने वाला पदार्थ जो बायोडिग्रेडेबल (जैव-उद्घटन) और बायोकंपैटिबल (जैव-अनुकूल) है, हवा और पानी दोनों ही परिस्थितियों में ऊतकों, हड्डियों, अंडे के छिलके और लकड़ी जैसी विभिन्न सतहों को जोड़ने में सक्षम है। इसके लिए इसे अतिरिक्त क्रॉसलिंकिंग एजेंट या धातु आयन की आवश्यकता नहीं होती है। इस शोध का नेतृत्व आईआईएसईआर के रसायन विज्ञान विभाग के फैकल्टी प्रो. आशीष श्रीवास्तव द्वारा किया गया है। इसमें पोस्टडॉक्टरल शोधकर्ता डॉ. तन्मय दत्ता का भी उन्हें सहयोग मिला है। इस शोध के नतीजों को सहकर्मी-समीक्षित जर्नल ‘केमिस्ट्री ए यूरोपियन जर्नल’ में प्रकाशित किया गया है। साथ ही इसका पेटेंट कराया जा चुका है।

कहां-कहां उपयोग

इस तरह के बायोडिग्रेडेबल और बायोकम्पैटिबल आसंजक पदार्थों का उपयोग चिकित्सा, दंत चिकित्सा, दवा वितरण और ऊतक इंजीनियरिंग में किया जाता है। इनका उपयोग हड्डी को जोड़ने के लिए ऑर्थोपेडिक प्रक्रियाओं में भी होता है। घाव पर टांके, स्टेपल और तारों के विकल्प के रूप में भी इनका प्रयोग है। इसका उपयोग पर्यावरण-अनुकूल पैकेजिंग और उत्पादों में भी किया जा सकता है।

चिपकने वाला बायोमेडिकल पदार्थ एक ऐसी सीलिंग सामग्री है, जो ऊतकों की मरम्मत करने में मदद करते हैं। इस शोध में विपरीत चार्ज वाले पानी में घुलनशील पॉलीमर्स के मिश्रण का उपयोग किया है। – प्रो. आशीष श्रीवास्तव, फैकल्टी, रसायन विज्ञान विभाग, आईसर

संबंधित खबरें...

Back to top button