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अब सरकारी अस्पतालों में भी नशे की लत से दिलाएंगे छुटकारा

31 जिलों में बनाए जाएंगे एडिक्शन ट्रीटमेंट फेसलिटीज सेंटर, पर्याप्त इलाज की मिलेगी सुविधा

भोपाल। नशे की समस्या से जूझ रहे परिवारों के लिए अच्छी खबर है। अब मध्य प्रदेश के 31 जिलों में नशा मुक्ति के लिए सामान्य अस्पतालों में सेंटर बन रहे हैं। इससे नशा मुक्त भारत अभियान को गति मिलेगी। वहीं नशे की लत से पीड़ितों का उपचार हो सकेगा। केन्द्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय के नशीली दवाओं की मांग में कमी लाने के लिए राष्ट्रीय कार्ययोजना (एनएपीडीडीआर) के अंतर्गत प्रदेश के 31 जिलों में एडिक्शन ट्रीटमेंट फेसलिटीज (एटीएफ ) सेन्टर की स्थापना की जाएगी।

दिल्ली भेजा प्रस्ताव

एटीएफ सेन्टरों की स्थापना के संबंध में एनडीडीटीसी और एम्स नई दिल्ली को प्रस्ताव भेजे गए हैं, जो केंद्र सरकार की गाइड लाइन्स के तहत होंगे। इसका उद्देश्य नशे के खिलाफ समाज में जागरूकता फैलाना और पीड़ित को समुचित उपचार और पुनर्वास की सुविधा प्रदान करना है।

31 जिलों में मिलेगी सुविधा

प्रदेश के 31 जिले आगर-मालवा, अलीराजपुर, अनुपपूर, अशोकनगर, बडवानी, बैतूल, बुरहानपुर, टीकमगढ़, छतरपुर, दमोह, देवास, धार, हरदा, झाबुआ, कटनी, खरगौन, मण्डला, निवाड़ी, श्योपुर, उज्जैन, राजगढ़, शहडोल, शिवपुरी, सीधी, सिंगरौली, नरसिंहपुर, नर्मदापुरम, उमरिया, मऊगंज, मेहर एवं पाडुर्ना में एटीएफ सेंटर प्रारंभ होंगे।

अभी बीएमएचआरसी ने की शुरुआत : बीएमएचआरसी में स्थापित तंबाकू निषेध क्लीनिक तंबाकू या गुटखा की लत छोड़ने की इच्छा रखने वाले लोगों को सहायता दे रहा है। यहां हर बुधवार को इच्छुक व्यक्तियों की काउंसलिंग होगी।

10 बेड रिजर्व में रहेंगे

सामाजिक न्याय एवं दिव्यांगजन कल्याण मंत्री नारायण सिंह कुशवाह ने बताया कि यह पहल प्रदेश के उन जिलों में की जा रही है, जिन्हें नशा मुक्ति के लिए विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है। उन्होंने बताया कि इन जिलों के शासकीय जिला चिकित्सालयों में एटीएफ सेन्टर स्थापित किए जाएंगे, जहां नशा पीड़ितों के उपचार के लिए डेडिकेटेड वार्ड बनाए जाएंगे। वार्ड में 10 बेड आरक्षित रहेंगे, जिनका उपयोग नशा पीड़ितों के उपचार में होगा। आवश्यकता से अधिक बेड उपलब्ध होने पर सामान्य मरीजों के लिए भी बेड का उपयोग किया जा सकेगा। स्टाफ भी रखा जाएगा।

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