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अब ऑर्गन्स की तरह त्वचा भी डोनेट कर सकेंगे लोग, 5 साल तक रहेगी सुरक्षित

गांधी मेडिकल कॉलेज में शुरू हुआ राजधानी का पहला स्किन बैंक

भोपाल। अब अंगों की तरह स्किन भी दान की जा सकेगी। इस स्किन का उपयोग आगजनी या दुर्घटना के बाद पीड़ितों के स्किन ग्राफिक्स में किया जाएगा। इसके लिए गांधी मेडिकल कॉलेज के त्वचा रोग विभाग में राजधानी का पहला स्किन बैंक शुरू किया गया है। इसमें दान में मिली स्किन को पांच साल तक सुरक्षित रखा जा सकेगा। कमला नेहरू अस्पताल के फर्स्ट फ्लोर पर तैयार हुए इस स्किन बैंक में जिंदा एवं मृत दोनों तरह के व्यक्ति स्किन डोनेट कर सकते हैं।

इससे पहले प्रदेश में जबलपुर मेडिकल कॉलेज में स्किन बैंक शुरू किया जा चुका है। बैंक के शुभारंभ अवसर पर हमीदिया अस्पताल के अधीक्षक डॉ. सुनीत टंडन, गांधी मेडिकल कॉलेज की डीन डॉ. कविता एन सिंह, बर्न एवं प्लास्टी के एचओडी डॉ. अरुण भटनागर, डेजिग्नेट प्रोफेसर डॉ. आनंद गौतम, असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. हरि शंकर सिंह आदि मौजूद थे। करीब 9 महीने पहले बर्न एंड प्लास्टिक डिपार्टमेंट की ओर से स्किन बैंक के लिए प्रपोजल तैयार किया गया था।

हर महीने 20 पीड़ितों को होती है स्किन की जरूरत

गांधी मेडिकल कॉलेज के डॉ. गौतम ने बताया कि कॉलेज में उच्च तकनीक से बैंक का निर्माण किया गया है। इसमें स्किन को माइनस 15 डिग्री से और ज्यादा कूलिंग पर रखा जा सकता है। उन्होंने बताया कि जब स्किन निकालते हैं, तो उसके पीस का कल्चर टेस्ट करते हैं। फिर यूज किया जाता है। बैंक में स्किन को पांच साल तक सुरक्षित रखा जा सकता है। उन्होंने बताया हमीदिया अस्पताल में हर महीने 15 से 20 पीड़ितों को स्किन की जरूरत होती है।

लाइव डोनेशन में डोनर की 24 घंटे में हो जाती है छुट्टी

एचओडी डॉ. भटनागर ने बताया कि 30 प्रतिशत या 50 से 60 प्रतिशत से अधिक बर्न के मरीजों को नई स्किन की जरूरत होती है। हम जिस तरह से ब्लड डोनेट करते हैं स्किन भी डोनेट कर सकते हैं। ऑर्गन डोनेशन की तरह स्किन में भी लाइव और केडेवर डोनेशन होता है। आम व्यक्ति भी स्किन दान कर सकता है। इसमें ब्लड लॉस बहुत अधिक नहीं होता है। दूसरा, केडेवर डोनेशन में स्किन मृत व्यक्ति के हाथ और पैरों से ली जाती है।

डीप फ्रीज 2 हजार ली. कूलिंग कैबिनेट 3 हजार लीटर का है

डॉ. भटनागर ने बताया कि हमारे पास डीप फ्रीज 2 हजार लीटर और कूलिंग कैबिनेट 3 हजार ली. कैपेसिटी का है। इसमें 100 एमएल के 60 से अधिक बॉटल रख सकते हैं। मौत के 6 घंटे बाद तक स्किन ले सकते हैं। मृत्यु के बाद बॉडी प्रिजर्व कर दी जाती है, तो 12 घंटे तक स्किन ले सकते हैं।

अन्य बैंक भी किए जाएंगे तैयार : यहां बोन बैंक, मदर मिल्क बैंक, स्पर्म बैंक, हेयर बैंक आदि अगले एक साल में काम करना शुरू कर देंगे।

इन लोगों को होती है जरूरत

  • आगजनी में 50 फीसदी से ज्यादा झुलसे पीड़ित।
  • दुर्घटना में ऐसे घायल, जिनकी त्वचा खराब हो गई हो।
  • ऐसे बुजुर्गों के घावों पर जिनका ऑपरेशन नहीं हो सकता।
  • एसिड या अन्य केमिकल से झुलसे लोग।

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