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अब सरपंच पति की तरह आशा पति भी कर रहे पोर्टल में योजनाओं की एंट्री, जबलपुर में हुआ रैंडमली सर्वे

रिसर्च में खुलासा, जबलपुर की 49% आशा डिजिटल काम करने में नहीं हैं पूर्ण रूप से दक्ष

हर्षित चौरसिया-जबलपुर। प्रदेश में सरपंच के पति, पार्षद के पति को काम करते हुए आमतौर पर सुना व देखा गया होगा। जबलपुर में स्वास्थ्य विभाग की योजनाओं को ऐप और पोर्टल में दर्ज करने के लिए मैदानी कार्यकर्ता आशाओं के पति और बच्चे उनकी मदद कर रहे हैं। यह खुलासा इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ पब्लिक हेल्थ भारत सरकार से मास्टर इन पब्लिक हेल्थ की डिग्री कर चुकी डॉक्टर शिल्पी जैन की रिसर्च रिपोर्ट में हुआ है। डॉ. जैन ने बताया कि उनकी रिसर्च के मुताबिक जिले की करीब 49 प्रतिशत आशा कार्यकर्ता डिजिटल कार्य में पूर्णत: दक्ष नहीं हैं।

इस कार्य को करने के लिए या तो वे अपने पति की मदद लेती हैं या वे अपने बेटा-बेटी से पोर्टल व ऐप पर एंट्री करवाती हैं। जबलपुर जिले में रैंडमली सर्वे किया गया है। डॉ. जैन के मुताबिक उनकी डिग्री में यह विषय दिया गया था, जिसमें जबलपुर जिले की आशा कार्यकर्ताओं पर सर्वे किया गया। 1800 कार्यकर्ताओं में से 330 कार्यकर्ताओं से जानकारी लेने के बाद यह रिपोर्ट तैयार की गई है। इसे वे सीएमएचओ को सौंपेंगी ताकि इनकी डिजिटल कार्य करने की दक्षता को बढ़ाया जा सके।

दक्षता को बढ़ाने के लिए कराएंगे ट्रेनिंग प्रोग्राम

इस संबंध में सीएमएचओ डॉ. संजय मिश्रा का कहना है कि रिपोर्ट अभी उनके पास आई नहीं है। रिपोर्ट आने के बाद आशा कार्यकर्ताओं सहित जिन कर्मचारियों को डिजिटल कार्य करने में समस्या आ रही है, उनके लिए ट्रेनिंग प्रोग्राम भी आयोजित किए जाएंगे।

क्या कहते हैं आशा कार्यकर्ताओं के परिजन

संजय विश्वकर्मा ने बताया कि मेरी पत्नी सुषमा आशा कार्यकर्ता है और समय पर काम हो, इसके लिए कई बार पोर्टल, ऐप में कार्य के दौरान एंट्री में मैं अपनी पत्नी की मदद करता हूं।

धीरे-धीरे दक्ष हो रही हैं

आदर्श अग्रहरि ने बताया मेरी मां दुर्गावति आशा कार्यकर्ता है और उनको ऐप,पोर्टल में डिजिटल कार्य करने समस्या आती है। इसलिए मैं उनकी मदद करता हूं और पोर्टल, ऐप में एंट्री भी करता हूं। वे धीरे- धीरे इस कार्य में दक्ष हो रही हैं।

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