नई दिल्ली। गुजरात में कुछ सरकारी कर्मचारियों ने लोगों से घूस लेने का ऐसा तरीका खोजा जिससे देने वाले पर भी वित्तीय बोझ ना पड़े। कुछ जिम्मेदार लोगों की ओर से पीड़ितों से बैंकों की तरह ईएमआई के रूप में घूसे लेने के मामले सामने आए हैं। रिपोर्ट्स के अनुसार राज्य भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो की ओर से साल 2024 में ही अब तक इस तरह के 10 मामले दर्ज किए गए हैं। मार्च 2024 में एसजीएसटी फर्जी बिलिंग घाटाले से जुड़े अहमदाबाद के एक मामले में एक व्यक्ति से 21 लाख रु. की रिश्वत मांगी गई।
भ्रष्टाचारी अफसरों ने पीड़ितों से घूस की राशि वसूलने के लिए उन्हें ईएमआई के रूप में इसका भुगतान करने की सुविधा दी। चार अप्रैल को सूरत के एक गांव के उपसरपंच और तालुका पंचायत के सदस्य ने एक किसान से खेत को समतल करवाने के एवज में 85,000 रु. घूस मांगी। आरोपियों ने पीड़ित की परेशानियों को देखते हुए उसे यह राशि ईएमआई में चुकाने की सुविधा दी।
आरोपियों ने पीड़ित को पहली बार 35000 रु. देने को कहा और शेष राशि का भुगतान दो बराबर किश्तों में करने को कहा। 26 अप्रैल 2024 को भी गुजरात में दरियाली के साथ घूसखोरी का एक मामला सामने आया। सीआईडी के एक निरीक्षक (इंस्पेक्टर) ने एक आपराधिक मामले में जब्त लैपटॉप और कम्प्यूटर समेत अन्य चीजों को छोड़ने के लिए 5000 रुपये रिश्वत की मांग की। यह राशि पीड़ित को किश्तों में अदा करने की सुविधा दी गई।
शुरुआती किस्त देने के बाद शिकायत करते हैं पीड़ित
अप्रैल में ही गुजरात के जल आपूर्ति और सीवरेज बोर्ड के एक द्वितीय श्रेणी के अफसर ने एक ठेकेदार से बिल पास कराने के लिए 1 लाख 20 हजार रु. घूस देने के लिए कहा। आरोपी ने ठेकेदार को यह राशि 30,000 रु. के चार बराबर किस्तों में अदा करने की सुविधा दी गई। रिपोर्ट में गुजरात के एसीबी निदेशक और डीजीपी शमशेर सिंह के हवाले से कहा गया है कि एसीबी सिर्फ उन मामलों को ही रिपोर्ट करने में सक्षम होता है, जिनमें पीड़ित शुरूआती किस्तों का भुगतान करने के बाद हमसे संपर्क करते हैं।