
पल्लवी वाघेला, भोपाल। कार्यस्थल और शिक्षण संस्थानों में मेंस्ट्रुअल लीव पॉलिसी हमेशा से बहस का विषय रही है। इस बीच भोपाल की नेशनल लॉ इंस्टीट्यूट यूनिवर्सिटी (एनएलआईयू) ने अपनी छात्राओं के लिए इस नीति को लागू कर दिया है। ऐसा करने वाला यह प्रदेश का संभवत: पहला संस्थान है। संस्थान की स्टूडेंट वेलफेयर बॉडी ने इस संबंध में प्रस्ताव तैयार कर भेजा था, जिसे अप्रूवल मिलने के बाद इसे लागू कर दिया गया है। हालांकि, एग्जाम टाइम होने से छात्राएं अगले सेमेस्टर से इसका लाभ ले पाएंगी।
एनएलआईयू भोपाल की स्टूडेंट वेलफेयर मेंबर सेजल खंडेलवाल ने इस साल फाइनल ईयर की परीक्षा दी है। सेजल ने बताया कि इस पॉलिसी को स्टूडेंट ने ही तैयार किया था। मेंस्ट्रुअल लीव पॉलिसी के तहत अब छात्राएं एक सेमेस्टर (तीन माह) में 6 दिन या फिर एक माह में दो लीव क्लेम कर सकती हैं।
स्पेशल कैटेगरी में मिल सकेंगी एक साथ 6 छुट्टियां
मेंस्ट्रुअल डिसऑर्डर मसलन- पीसीओएस और अन्य प्रॉब्लम के लिए स्पेशल कैटेगरी बनाई गई है। इसके तहत आने वाली स्टूडेंट्स के लिए हर माह दो छुट्टी का बंधन नहीं होगा। वह प्रति सेमेस्टर एकसाथ 6 छुट्टियां ले सकती हैं। इसके लिए स्टूडेंट्स को यूनिवर्सिटी के डॉक्टर के थ्रू अप्रूव्ड मेडिकल सर्टिफिकेट देना होगा। सेजल ने बताया कि गर्ल्स को कई फिजिकल और हार्मोनल प्रॉब्लम से गुजरना पड़ता है। स्टूडेंट वेलफेयर बॉडी को महसूस हुआ कि जब इन दिनों सभी लोग हेल्थ इश्यूज को लेकर जागरूक हो रहे हैं, तो इस प्रॉब्लम को कंसीडर किया जाना चाहिए। इसी के चलते यह पॉलिसी प्रस्तावित थी, जिसे मंजूर किया गया।
स्टूडेंट वेलफेयर बॉडी ने यह प्रस्ताव तैयार कर हमें भेजा था। हमें लगा कि उनकी इस पॉलिसी को लागू किया जाना जरूरी है। यूनिवर्सिटी से अप्रूवल मिलने के बाद हम मार्च में इसे लागू कर चुके हैं। – प्रो. डॉ. एस. सूर्यप्रकाश, कुलपति, एनएलआईयू, भोपाल