
भोपाल। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (nirmala sitharaman in bhopal) ने कहा कि आने वाले 25 सालों में तकनीक और स्टार्टअप क्रांति आत्मनिर्भर भारत का आधार होगी। देश में यूनिकॉर्न के बाद अब ‘सूनिकॉर्न’ कंपनियां भी बढ़ेंगी। आंत्रप्रन्योरशिप (उद्यमिता) भारत के डीएनए में है लेकिन कांग्रेस की सरकारों की सेंट्रलाइज प्लानिंग से सबसे ज्यादा एमएसएमई (MSME) को दबाया गया। सीतारमण ने दत्तोपंत ठेंगड़ी को विजनरी लीडर बताते हुए कहा कि केंद्र सरकार उनके प्रमुख सिद्धांतों को आत्मसात करते हुए आत्मनिर्भर भारत की ओर बढ़ रही है। उन्होंने कहा कि आजादी के 100 साल में विकसित देश होने के लिए हमें मानसिकता बदलना चाहिए। प्रधानमंत्री के पंच प्रण में हमें यह दिशा मिलती है।
20 साल में जन्मे 7 करोड़ लोग देश की ताकत
रवींद्र भवन में दत्तोपंत ठेंगड़ी स्मृति व्याख्यानमाला में उपस्थित वित्त मंत्री ने ‘वैश्विक परिदृश्य में भारत का आर्थिक सामर्थ्य’ विषय पर बोल रहीं थी। सीतारमण ने कहा कि दुनियाभर में तीसरे सबसे ज्यादा स्टार्टअप भारत में हैं। यूनिकॉर्न सबसे ज्यादा भारत में जन्म लिए और सूनिकॉर्न बनने वाले स्टार्टअप भी भारत में हैं। उन्होंने कहा कि 1980 के बाद 20 साल में जन्मे सात करोड़ लोग भारत की ताकत हैं। 1980 के बीच जन्मे लोग 7 करोड़ लोग हैं। ये युवा देश की ताकत हैं। ये स्टार्टअप की क्रांति भारत के युवा की है। उन्होंने कहा कि देश में भाजपा और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने स्टार्टअप की पॉलिसी बनाकर प्रोत्साहन दिया। मप्र में भी शिवराज सिंह सरकार ने मुद्रा, स्वाबलंबन योजना में रोजगार की दिशा में बेहतर काम किया है।
तकनीक के कारण बचाए दो लाख करोड़
तकनीक की उपयोगिता बताते हुए केंद्रीय वित्त मंत्री ने कहा कि अमृत काल के आने वाले 25 सालों में हम तकनीक वाला भारत बनाएंगे। उन्होंने कहा कि तकनीक का उपयोग करने पर केंद्र सरकार ने दो लाख करोड़ रुपए बचाए हैं। हितग्राहियों के खातों में सीधे रकम पहुंचाने (DBT) में वेरिफिकेशन के बाद ही पैसा दिया जाता है। कांग्रेस की सरकारों में जो जिंदा नहीं है, जो पैदा नहीं हुआ उसके नाम पर पैसा ले लिया जाता था।
दत्तोपंत ठेंगड़ी ने मजदूर संघ की ताकत दिखाई
सीतारमण ने कहा कि दुनियाभर में कम्युनिज्म और कैपटलिज्म के वक्त मजदूरों की बात करने का दवा सिर्फ कम्युनिस्ट ही करते थे, लेकिन दत्तोपंत ठेंगड़ी ने तमाम चुनौतियों के बीच 1955 में भारतीय मजदूर संघ बनाकर नए युग का सूत्रपात किया। उन्होंने कहा कि 30 साल बाद चीन ने भारतीय मजदूर संघ को आमंत्रित कर हमारी ताकत को पहचाना। उन्होंने कहा कि
दत्तोपंत ठेंगड़ी के चार सिद्धांतों पर काम
1. स्वतंत्र स्पर्धा : इससे बाजार में आर्थिक सुधारों को गति मिली। हम लाइसेंस प्रक्रियाएं की बाधाएं दूर कर रहे हैं।
2. समानता : दत्तोपंतजी बाबा अंबेडकर के साथ भी रहे, शायद इलेक्शन एजेंट भी रहे, इसलिए वे सबको बराबरी की बात करते थे। मिलने पर ही समाज आगे बढ़ेगा। एसटी, एससी, आर्थिक कमजोर सबका ध्यान रखने की बात कही, भाजपा-एनडीए सरकार ‘सबके विकास’ पर काम करती है।
3. प्रकृति का दोहन हो शोषण नहीं : वैश्विक विकास की सोच में प्रकृति का दोहन सावधानी से किया जाए। दुनिया में क्लाइमेट पर चिंता हो रही है। भारत जैसा देश लाइफस्टाइल फॉर एन्वॉयरमेंट की जरूरत के हिसाब से चल रहा है।
4. स्वरोजगार : जॉब सीकर बनने में भलाई नहीं है। हर एक का अपना रोजगार का वातावरण बने। कांग्रेस की सरकार में दिल्ली में बैठकर सभी राज्यों के लिए एक जैसा मॉडल बनाने से छोटे उद्योग विकसित नहीं हो पाए। इकोनॉमी भी नहीं बढ़ी।