
विजय एस. गौर भोपाल । किसानों की आय दो गुनी करने के दावों के उलट नई अफीम नीति से अफीम उत्पादक किसानों की आय आधी हो गई है। साथ ही तौल में देरी होने या पशुओं के फसल चरने पर किसान पर ही चोरी का इल्जाम लगता है और पट्टा रीन्यूअल नहीं हो पाता।
ज्ञात हो कि मंदसौर, नीमच और रतलाम के साथ ही राजस्थान के चित्तौड़गढ़ इलाके का क्लाईमेट अफीम की फसल के लिए सर्वोत्तम होने से किसानों को पट्टे दिए जाते हैं। पहले परंपरागत तरीके से खेती होती थी, जिसमें अलसुबह डोडा में चीरा लगाने के बाद गम को शाम तक इकट्ठा कर लेते थे। इसको बाद में बेचने पर 10 आरी के पट्टे में औसतन 15 से 16 हजार रुपए मिलते थे, लेकिन नई अफीम नीति में कंस्ट्रेटेड पॉपी स्ट्रा (सीपीएस) के तहत डोडा 2 हजार रुपए किलो के भाव बिकता है। नतीजे में किसानों को अब 6 से 8 हजार रुपए की ही आय हो पाती है।
सलिए हो रहा है नई अफीम नीति का विरोध
नई अफीम नीति के तहत पोस्ता निकालने के बाद बचा हुआ डोडा की तुलाई करवानी होती है। इसकी प्रोसेसिंग का ठेका बजाज हेल्थ केयर को मिला है, जिसके वड़ोदरा, सूरत और मुंबई के पास प्लांट हैं। किसानों का कहना है कि अफीम के कारोबार में जबर्दस्त फायदा होने से निजीकरण किया जा रहा है। इससे किसानों को जहां घाटा होने लगा है, वहीं निजी क्षेत्र के कारण किसान हितैषी योजनाएं भी लागू नही हो सकेंगी।
क़्वालिटी पर असर, पोस्तादाना का भाव गिरा
परंपरागत तरीके में डोडा में चीरा लगाने के बाद अफीम गम निकालकर बाद में पोस्तादाना निकालते थे। इससे दाना पककर निकलने से क्वॉलिटी अच्छी होने से दाम 1500 से 1800 रुपए किलो तक मिल जाते थे। अब नई नीति में बिना अफीम निकाले डोडा पकने पर फूल वाली जगह को मशीन में फंसाकर दाने निकालते हैं। इससे कम पोस्तादाना मिलने के साथ ही प्री मैच्योर होने से दाम भी 1200 रुपए किलो ही मिल रहा हैं।
पट्टा रीन्यूअल में अड़चन
तौल में देरी होने पर किसानों को ही फसल की रखवाली करनी पड़ती है। ऐसे में पक्षियों और पशुओं के चरने से फसल नष्ट होने पर किसानों पर ही चोरी का आरोप मढ़ दिया जाता है। किसानों की सफाई मानी नहीं जाती। अफीम खेती का पट्टा रीन्यूअल भी नहीं हो पाता। -दिलीप पाटीदार, अध्यक्ष, मालवा किसान संघ, मंदसौर
आय आधी हो कर रह गई
2007 में नीमच और गाजीपुर के अफीम कारखानों के निजीकरण की कोशिश को किसानों ने उग्र विरोध करके नाकाम कर दिया था। अब फिर से पिछले दरवाजे से निजीकरण के तहत सीपीएस थोप दिया गया है, जिससे किसानों की आय घटकर आधी हो गई है। -शैलेंद्र सिंह ठाकुर, सचिव, मप्र अफीम किसान सभा, नीमच
नीति में सुधार करवाएंगे
पहले 14 हजार करीब अफीम लाइसेंसी थे, जो मेरे प्रयासों से बढ़कर 90 हजार हो चुके हैं। जहां तक नीति में सुधार की मांग हैं तो किसानों के सजेशन के आधार पर ही बदलाव होता है। अब अगली बैठक संभवत: अगस्त में होगी, जिसमें फिर किसानों के सजेशन प्रमुखता से रखवाकर सुधार करवाने की कोशिश होगी। -सुधीर गुप्ता, सांसद, मंदसौर