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इंदौर : नगर निगम के निलंबित राजस्व अधिकारी के ठिकानों पर EOW का छापा, आय से अधिक संपत्ति मिलने पर कार्रवाई, जानें अब तक क्या-क्या मिला

इंदौर मध्यप्रदेश के इंदौर में आज आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ (ईओडब्ल्यू) ने नगर निमग के एक सहायक राजस्व अधिकारी के घर और उसके परिजनों के आवास में छापा मारकर करोड़ों रुपए कीमत की बेनामी संपत्ति का खुलासा किया। अब तक टीम को एक बंगला, 4 फ्लैट और 2 प्लॉट के दस्तावेज मिले हैं। कार्रवाई अभी भी जारी है, जिसमें और भी खुलासे होने की संभावना है।

कई धाराओं में मामला दर्ज

ईओडब्ल्यू के आधिकारिक सूत्रों के अनुसार, इंदौर नगर निगम के सहायक राजस्व अधिकारी राजेश परमार के खिलाफ भ्रष्टाचार से करोड़ों रुपए की असमानुपातिक संपत्ति अर्जित करने की शिकायत के सत्यापन के बाद शिकायत में अरोप प्रथम दृष्ट्या सही पाए गए। इस पर आरोपी के खिलाफ विभिन्न धाराओं एवं भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया गया।

सर्च के लिए दो टीमों का गठन

ईओडब्लयू इंदौर के द्वारा आरोपी के बिजलपुर इंदौर स्थित आवास एवं परिजनों के आवास कनाडिया इंदौर क्षेत्र में सर्च के लिए दो टीमों का गठन किया गया। गठित दोनों टीमों द्वारा वर्तमान में सर्च की कार्रवाई की जा रही है। दोनों स्थानों पर एक साथ सुबह छापे की कार्रवाई की गई।

अब तक जांच में क्या-क्या मिला ?

जांच में दोपहर तक आरोपी राजेश परमार के बिजलपुर इंदौर में दो मंजिला मकान (2600 वर्गफीट निर्मित एरिया), संचार नगर में फ्लैट, संपत ग्रीन में भूखण्ड (1600 वर्गफीट), श्रीजी वैली में फ्लैट, पिपलियाहाना में विकसित कॉलोनी उदयनगर में एक भूखण्ड, खुशबु विला में फ्लैट, सैटेलाईट वैली इंदौर में फ्लैट के अलावा दोनों स्थानों पर मिले दस्तावेज, आभूषण, बैंक खातों एवं नगद आदि की जांच की जा रही है। कार्रवाई के दौरान और अधिक संपत्ति मिलने की संभावना है।

अब तक प्राप्त जानकारी/दस्तावेजों और ब्यौरों के आधार पर यह एक मूल्यवान संपत्ति होने का अनुमान है। तलाशी की कार्रवाई जारी है। अब तक मिले बैंक खातों, लॉकरों और आभूषणों आदि की जानकारी प्राप्त कर मूल्यांकन किया जाएगा।

पहले से निलंबित है राजेश परमार

आरोपी राजेश परमार को हाल ही में नगर निगम आयुक्त ने अनियमितता के आरोप में निलंबित कर दिया है। आरोपी मूल रूप से निगम में बेलदार के पद से कर्मचारी के रूप में भर्ती हुआ था। सरकारी सेवा के दौरान उन्होंने अपने और अपने परिवार के सदस्यों के नाम पर आवासीय भवन और भूखंड आदि खरीदे थे।

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