ताजा खबरभोपालमध्य प्रदेश

नया सिंगरौली नहीं बनेगा, मुआवजा लेकर विस्थापन के लिए राजी हुए 30 हजार परिवार

जयंत कोयला खदान की रेंज में आ रहे 10 वार्ड खाली कराने की तैयारी

अशोक गौतम-भोपाल। एशिया की ऊर्जाधानी कहे जाने वाले मप्र के सिंगरौली नगर की 25 फीसदी आबादी के विस्थापन का रास्ता साफ हो गया है। यह हिस्सा जयंत कोयला खदान की जद में आ रहा है। इसलिए यहां के करीब 30 हजार परिवार को हटाया जाना है। पहले नई टाउनशिप बनाकर इन लोगों को वहां बसाने की तैयारी थी। इस पर सहमति नहीं बनी। अब लोग मुआवजा लेकर हटने को तैयार हो गए हैं। सिंगरौली शहर तीन कोयला खदानों (जयंत, दूधिचुआ और झिंगुर्दा) से घिरा है। इनमें से जयंत कोयला खदान उत्खनन होते-होते शहर के किनारे तक पहुंच गई है।

इसकी जद में शहर के कुल 45 में से 10 वार्ड (वार्ड-2 से लेकर 11) आ रहे हैं। नॉर्दर्न कोलफील्ड लिमिटेड (एनसीएल) ने इन वार्डों में रहने वाले लोगों को जिला प्रशासन के जरिए नोटिस जारी कर सहमति बनाने का प्रयास किया तो लोग राजी नहीं हुए। अब मुआवजा लेकर लोग बनारस, प्रयागराज, मिर्जापुर सहित अन्य जिलों में शिफ्ट होने पर सहमत हो गए हैं। इसके लिए कोल मंत्रालय से करीब 31 हजार करोड़ रुपए का बजट दिया गया है। विस्थापन के लिए वर्ष 2028 डेडलाइन है।

पांच सौ मीटर पर रोक दी जाएगी जयंत खदान

जयंत कोयला खदान जब एनसीए को आवंटित हुई थी, तब सिंगरौली नहीं बसा था। कोल और पॉवर कंपनियां आईं तो शहर का विस्तार हुआ। अब जयंत खदान शहर की बाउंड्री तक आ गई है। इसलिए विस्थापन जरूरी है। दूधिचुआ कोयला खदान का दायरा भी शहर की तरफ बढ़ रहा है।

विस्थापन के लिए लोगों से चर्चा की जा रही है

जयंत खदान शहर की बाउंड्री पर पहुंच गई है। शहर का कुछ हिस्सा खदान की सीमा में आ रहा है। इस हिस्से में रहने वाले लोगों को विस्थापित किया जाएगा। लोगों से इस संबंध में चर्चा की जा रही है। – निरंजन, जीएम, विस्थापन, (जयंत कोयला खदान) एनसीएल

अभी तक नहीं मिला मुआवजा

मेरी जमीन खदान प्रबंधन ने अधिग्रहित कर ली है, लेकिन मुआवजा नहीं मिला है। हमें कब और कहां विस्थापित करेंगे, इस संबंध में कोई जानकारी नहीं दी गई है। हमारे घर के आसपास खुदाई का काम शुरू हो गया है। -रोहित कुमार, विस्थापित मोरवा

हमारा पुश्तैनी मकान है और 2 हजार वर्ग फीट में बना है। विस्थापन के लिए मकान का नापजोख हो चुका है। मुआवजा राशि 25 लाख तय की गई थी। अभी मुआवजा नहीं मिली है। प्रबंधन मकान खाली करने को कह रहा है। हम परिवार के साथ कैसे मकान छोड़ सकते हैं? – राम सिया शाह, विस्थापित मोरवा

मेरा घर पांच डिसमिल में बना है। नपाई के बाद पहले 10 लाख रु. मुआवजा देने की बात कही गई थी। बाद में मुआवजा घटाकर 5 लाख रु. कर दिया। 5 लाख भी अभी तक नहीं दिए गए और जमीन खाली करने का दबाव बनाया जा रहा है। -सुखई, विस्थापित

संबंधित खबरें...

Back to top button