
जगत जननी मां दुर्गा भवानी की उपासना का पावन पर्व गुरुवार 7 अक्टूबर से प्रारंभ हो रहा है। इस वर्ष पिछले साल के मुकाबले कोरोना गाइडलाइंस में काफी ढील दी गई हैं फिर भी इस त्योहार को जरूरी एहतियात बरतकर मनाएं। बता दें कि इस बार नवरात्रि 8 दिनों की होंगी। ऐसा इसलिए क्योंकि इस साल तृतीया और चतुर्थी तिथि एक साथ पड़ने जा रही हैं। इस आर्टिकल में जानें शारदीय नवरात्रि की पूजन विधि व सामग्री के बारे में।
क्या है नवरात्रि पर्व का महत्व?
धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक एक बार मां दुर्गा ने भयानक राक्षस महिषासुर का वध किया था। मां दुर्गा व राक्षस महिषासुर के बीच 9 दिन तक यह युद्ध चला था, जिसके दसवें दिन माता जगदम्बा ने उस भयानक राक्षस का वध कर दिया। इसी के बाद से नवरात्रि पर्व मनाया जाने लगा। इस पर्व में भक्त माता रानी को प्रसन्न करने के लिए उपवास करते हैं और उनकी भक्ति में लीन रहते हैं।
कब होगा दशहरा?
इस साल तृतीया और चतुर्थी तिथि एक साथ पड़ने की वजह से नवरात्रि आठ दिनों की होंगी। यही कारण है कि इस बार 15 अक्टूबर को दशहरा यानी विजयादशमी का त्योहार मनाया जाएगा।
किस दिन किस देवी की होती है पूजा?
- 7 अक्टूबर – मां शैलपुत्री
- 8 अक्टूबर- मां ब्रह्मचारिणी
- 9 अक्टूबर- मां चंद्रघंटा और मां कुष्मांडा
- 10 अक्टूबर- मां स्कंदमाता
- 11 अक्टूबर- मां कात्यायनी
- 12 अक्टूबर- मां कालरात्रि
- 13 अक्टूबर- मां महागौरी
- 14 अक्टूबर- मां सिद्धिरात्रि
- 15 अक्टूबर- दशहरा
घटस्थापना का शुभ मुहूर्त
- घटस्थापना का शुभ समय सुबह 06 बजकर 17 मिनट से सुबह 07 बजकर 07 मिनट तक ही है।
- कलश स्थापना नवरात्रि के पहले दिन यानी 07 अक्टूबर, गुरुवार को ही की जाएगी।
शारदीय नवरात्रि पूजन सामग्री
- मां दुर्गा की प्रतिमा या फोटो,
- सिंदूर, केसर, कपूर, धूप,वस्त्र, दर्पण, कंघी, कंगन-चूड़ी, सुगंधित तेल,
- चौकी, रोली, मौली, पुष्पहार, बेलपत्र, कमलगट्टा, दीपक, दीपबत्ती, नैवेद्य, शहद, शक्कर, पंचमेवा, जायफल,
- चौकी के लिए लाल कपड़ा, पानी वाला जटायुक्त नारियल, दुर्गासप्तशती किताब,
- पटरा, आसन, पांच मेवा, घी, लोवान,गुग्गुल, लौंग, कमल का फूल, गट्टा,सुपारी, कपूर और हवन कुंड,
- बंदनवार आम के पत्तों का, फूल, दूर्वा, मेहंदी, बिंदी, सुपाड़ी साबुत, हल्दी गांठ और पिसी हुई हल्दी,
- लाल रंग की गोटेदार चुनरीलाल रेशमी चूड़ियां, सिंदूर, आम के पत्ते, लाल वस्त्र, लंबी बत्ती के लिए रुई या बत्ती, धूप, अगरबत्ती,
- माचिस, कलश, साफ चावल, कुमकुम,मौली, श्रृंगार का सामान, दीपक, घी/ तेल ,फूल, फूलों का हार, पान, सुपारी, लाल झंडा, लौंग, इलायची, बताशे या मिसरी, उपले, फल व मिठाई,
- दुर्गा चालीसा व आरती की किताब,कलावा, मेवे, हवन के लिए आम की लकड़ी, जौ आदि।
नोट : उक्त जानकारी आरती संग्रह से ली गई हैं। पूजन की अधिक जानकारी पुरोहित से अवश्य प्राप्त करें।