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मौसम विभाग ने दी किसानों के लिए बड़ी राहत, सामान्य से बेहतर मानसून रहने की उम्मीद, अल नीनो का खतरा नहीं

भारतीय मौसम विभाग (IMD) ने इस साल के मानसून को लेकर राहत भरी खबर दी है। विभाग ने कहा है कि जून से सितंबर के बीच देश में सामान्य से अधिक बारिश हो सकती है। अनुमान है कि इस बार करीब 105% यानी लगभग 87 सेंटीमीटर बारिश हो सकती है। आमतौर पर मानसून सीजन में 86.86 सेंटीमीटर बारिश होती है, जिसे लॉन्ग पीरियड एवरेज (LPA) कहा जाता है। मौसम विभाग 104% से 110% तक की बारिश को सामान्य से बेहतर मानता है।

हर साल की तरह इस बार भी मानसून 1 जून के आसपास केरल से देश में प्रवेश करेगा और सितंबर के अंत तक राजस्थान से वापसी करेगा। यह मानसून उत्तर भारत समेत बाकी हिस्सों में 15 से 25 जून के बीच पहुंचेगा।

इस बार अल नीनो का खतरा नहीं

IMD के प्रमुख मृत्युंजय महापात्रा ने बताया कि इस साल अल नीनो की स्थिति नहीं बनेगी, जो बारिश के लिए एक अच्छा संकेत है। हालांकि, मई और जून के दौरान हीट वेव्स यानी लू के दिनों की संख्या बढ़ सकती है। इसका असर बिजली सप्लाई और पानी की उपलब्धता पर पड़ सकता है।

खेती और अर्थव्यवस्था के लिए मानसून बेहद अहम

भारत का करीब 52% कृषि क्षेत्र मानसून पर निर्भर करता है। बारिश से ही खेतों की सिंचाई होती है और जलस्तर भी बढ़ता है। अच्छे मानसून का सीधा असर फसल की पैदावार, किसानों की आमदनी और देश की अर्थव्यवस्था पर होता है।

देश में साल भर में होने वाली कुल बारिश का 70% हिस्सा मानसून के दौरान ही होता है। करीब 70% से 80% किसान सिंचाई के लिए बारिश पर निर्भर हैं। अगर बारिश अच्छी होती है, तो फसल अच्छी होती है, जिससे महंगाई भी काबू में रहती है और त्योहारों से पहले बाजार में खर्च करने की ताकत भी बढ़ती है।

क्या होता है अल नीनो?

अल नीनो एक समुद्री जलवायु प्रभाव है, जिसमें समंदर का तापमान 3-4 डिग्री तक बढ़ जाता है। इसका असर पूरी दुनिया की बारिश पर पड़ता है। भारत में अल नीनो के कारण मानसून कमजोर हो जाता है, जिससे सूखे की स्थिति बन जाती है। हालांकि, इस साल ऐसा कोई खतरा नहीं है।

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