
लाइफस्टाइल डेस्क। बच्चों को परजीवी कृमि से होने वाले इंफेक्शन से बचाने और लोगों को इसके प्रति जागरूक करने के मकसद से हर साल 10 फरवरी को नेशनल डीवॉर्मिंग डे (राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस) के रूप में मनाया जाता है। शहरों की अपेक्षा गांवों में ये समस्या ज्यादा देखने को मिलती है। ज्यादातर बच्चे ही इसका शिकार होते हैं। आइए जानते हैं इसके लक्षण एवं उपचार के साथ ही इस दिन के शुरुआत होने के पीछे की वजह।
इस दिन को मनाने का मकसद
राष्ट्रीय कृमि मुक्त दिवस यानी नेशनल डीवॉर्मिंग डे की शुरुआत 10 फरवरी को साल 2015 में हुई थी। तब से हर साल यह दिन मनाया जाता है। बच्चों व किशोरों में कृमि संक्रमण को रोकने तथा इससे बचाव के प्रति जागरूकता फैलाने के मकसद से यह दिवस मनाया जाता है।
क्यों होता है यह संक्रमण ?
साफ-सफाई में कमी और गलत खानपान के कारण यह संक्रमण होता है। शहरी क्षेत्रों में यह कम देखा जा रहा है। संक्रमित मिट्टी को हाथों में लेने या नाखूनों में जमा होने के बाद इन्हीं गंदे हाथों से खाना खाने से कीड़े शरीर में प्रवेश करते हैं। इसी लिए डॉक्टर बच्चों में साफ सफाई का ज्यादा ध्यान देने को कहते हैं।
क्या है कारण ?
यह संक्रमण खासतौर से एसटीएच (Soil Transmitted Helminths) अर्थात पेट के परजीवी से फैलता है। यह परजीवी पेट में मौजूद होते हैं। मिट्टी को छूने, जमीन पर कुछ गिरा हुआ उठाकर खाने आदि द्वारा बच्चों की आंतों में पहुंच कर ये परीजीव अंडे दे देते हैं। इसके बाद बच्चों के द्वारा खाए पोषण को अपने अंडे के विकास में इस्तेमाल करने लगते हैं। जो धीरे-धीरे कुपोषण, मानसिक और कुष्ठ रोग, खून की कमी, कमजोरी जैसी बीमारियों को जन्म देता है।
पेट में कीड़े के लक्षण
- वजन कम होना।
- चक्कर आना।
- दस्त लगना।
- पेट दर्द और ऐंठन होना।
- मल त्याग करते समय खून आना।
- बुखार आना।
- आंखे लाल होना।
- जी मिचलाना और उल्टी आना।
- जीभ का सफेद होना।
- मुंह से बदबू आना।
बचाव के उपाय
- बच्चों को हमेशा शौचालय में ही शौच करवाएं।
- शौचालय से आने के बाद हांथ जरूर धोएं।
- ध्यान रखें जो पानी बच्चे पी रहे हैं वो पूरी तरह से साफ हो।
- बच्चों के नाखून और हाथ-पैरों को हमेशा साफ-सुथरा रखें।
- खासतौर से मिट्टी में खेलने के बाद सफाई जरूरी है।
- नीचे गिरे खाने को न खाएं।
- खाना बनाने और खाने की जगह को पूरी तरह से स्वच्छ हो।
- पैरों में चप्पल, जूते अवश्य पहनें।
इन बातों पर भी दें ध्यान
- हर छह महीने में संक्रमण की दवा पिलाना सही नहीं। जांच के बाद रिपोर्ट पॉजिटिव आने पर ही दवा दें।
- दवा पिलाने से पहले कब्ज या कोई दूसरी समस्या न हो इसका ध्यान अवश्य रखें।
- कीड़े की जांच फ्रेश स्टूल से ही कराएं, पहले से इस्तेमाल किए गए स्टूल से जांच न कराए।
- यदि बच्चे को पेट में कीड़ा मारने की दवा दी गई है तो सफाई का विशेष ध्यान रखें, अन्यथा दोबारा संक्रमण फैलने का खतरा हो सकता है।
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