
भोपाल। निकायों को शहरों में जल वितरण के अनुसार नदी, तालाब सहित अन्य जल स्रोतों में उसने पानी स्टोर की व्यवस्था करनी होगी। इसके लिए उन्हें वहां के नदी, तालाबों में जल संरक्षण पर काम करने के साथ उनके जल को शुद्ध करने पर काम करना होगा। शहरों की जरूरतों के अनुसार अगर उनके शहर में पानी संरक्षित होगा तो पानी की किल्लत और लो प्रेशर से पानी की सप्लाई की मार लोगों को नहीं झेलनी होगी।
नर्मदा का पानी भोपाल, इंदौर सहित पहुंचाने के लिए 150 करोड़ रुपए प्रति माह का बिल देना होता है। नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग और पर्यावरण विभाग इस पर एक कार्ययोजना तैयार कर रहा है, जिसमें शहर के जलस्रोतों में बारिश के पानी सहेजने के लिए उनका संरक्षण किया जाएगा।
इस तरह किया जा रहा काम
- वैज्ञानिकों से सुझाव : जल संरक्षण में काम कर रहे लोगों और वैज्ञानिकों, पर्यावरण के जानकारों से सुझाव लिए गए हैं। पर्यावरण विभाग के माध्यम से एक वर्कशॉप भी आयोजित की गई थी।
- गंदे पानी को सीधे नदी तालाब में डालने से रोकने के प्रबंध : गंदे पानी को सीधे नदी, तालाब में मिलने से रोकने के प्रबंध करने के लिए निकायों से कहा गया है। सभी 413 निकायों में पानी को शुद्ध करने के लिए संयंत्र बनाए जा रहे हैं। इनकी डेडलाइन दो साल है।
- नालों पक्के नालों का निर्माण : मिट्टी कटाव को रोकने के लिए पक्के नाले बनाने के साथ ही उनका चैनलाइजेशन किया जा रहा है। भोपाल इंदौर सहित कई बड़े शहरों में अमृत योजना के तरह नालों का चैनलाइजेशन हो चुका है।
- कार्यशालाएं : नगरीय प्रशासन एवं विकास द्वारा अमृत योजना 2.0 के अंतर्गत पिछले दिनों आयोजित कार्यशाला में भू-जल विशेषज्ञों ने तैयार किए गए भू-जल प्रबंधन प्लान पर विचार-विमर्श किया।
और इधर…33 निकायों में बन रहा भू-जल प्रबंधन प्लान
प्रदेश के नगरीय निकायों में भू-जल संरक्षण और प्रबंधन के लिए 33 नगरीय निकायों में भू-जल प्लान तैयार किया जा रहा है। 24 ने प्लान तैयार कर लिया है।
उदाहरण…आष्टा में रामपुरा डैम से खरीदना पड़ता है पानी
सीहोर जिले के आष्टा में हर साल पार्वती नदी बारिश के एक दो माह बाद सूख जाती है। इसका कारण नदी का उथला होना है। इससे हर साल निकाय को रामपुरा डैम से पानी खरीदना पड़ता है जिसका भुगतान करना पड़ता है।
निकायों को काम करना होगा
निकायों को जल संरक्षण पर काम करना होगा। अमृत योजना के तरह कुछ शहरों में बड़े तालाबों के संरक्षण और उनके गहरीकरण के लिए चयन कर राशि दी गई है। -भरत यादव, आयुक्त, नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग