
हेमंत नागले, इंदौर। इंदौर के लसूड़िया थाना क्षेत्र में वर्ष 2018 में एक युवती द्वारा एक युवक पर दुष्कर्म का आरोप लगाया था। परिवार द्वारा उस वक्त जो दस्तावेज पुलिस को दिए गए थे, उसमें पीड़िता को नाबालिग बताया गया था। नाबालिग के साथ दुष्कर्म करने के बाद आरोपी द्वारा परिवार वालों को जान से मारने की धमकी भी दी गई थी, जहां पुलिस द्वारा आरोपी को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया था। आरोपी 5 वर्ष तक जेल में था, वहीं आरोपी पक्ष के अधिवक्ता द्वारा न्यायालय में 5 साल तक बाहर होने के बाद आरोपी को जिला न्यायालय द्वारा बरी कर दिया गया है।
जानें पूरा मामला
जिला न्यायालय अधिवक्ता राजन कालदाते व संदीप चौधरी ने बताया कि लसूड़िया थाना क्षेत्र में एक पीड़िता ने 14 अगस्त वर्ष 2018 को यह शिकायत दर्ज कराई थी कि क्षेत्र में रहने वाली एक नाबालिग का इलाके में रहने वाले एक युवक द्वारा दुष्कर्म किया गया। युवक ने परिवार वालों को उसने जान से मारने की धमकी भी दी थी। जिस समय यह घटना घटित हुई थी, पीड़िता के परिवार वालों ने जितने भी दस्तावेज थाने को उपलब्ध कराए थे वह सब भी यह दर्शाते थे कि पीड़िता नाबालिग है। जिसके चलते पुलिस ने पॉक्सो एक्ट की कार्रवाई की थी। वहीं, आरोपी जीतू उर्फ जितेंद्र को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था।
#इंदौर : 5 वर्षों तक जेल में रहने के बाद, जिला न्यायालय ने #पॉक्सो_एक्ट में आरोपी को किया बरी। माता-पिता के दबाव में पीड़िता ने कराई थी झूठी शिकायत।#MPNews #PeoplesUpdate #POCSOAct #FalseFIR pic.twitter.com/V0U3kp6ZV5
— Peoples Samachar (@psamachar1) April 15, 2023
जेल में लगभग 5 वर्षों तक आरोपी के अधिवक्ताओं द्वारा लंबी बहस की गई, जिसमें जितने भी साक्ष्य आरोपी के अधिवक्ताओं ने न्यायालय के समक्ष पेश करे उसमें न्यायालय को यह ठोस सबूत दिए गए कि जिस वक्त पीड़िता द्वारा आरोपी पर दुष्कर्म का आरोप लगा था उस वक्त पीड़िता बालिक थी और परिजनों के दबाव में ही उसने आरोपी जीतू पर दुष्कर्म का मामला दर्ज करवाया था। न्यायालय के समक्ष सभी साक्ष्य देने के बाद न्यायालय ने यह आदेश देते हुए कहा कि घटना के समय पीड़िता बालिक थी और उसने परिवार के दबाव में ही आरोपी पर दुष्कर्म सहित कई आरोप लगाए थे। अधिवक्ता राजन का कहना था कि पीड़िता आरोपी के साथ अपनी राजी-मर्जी से ही जाया करती थी। परिवार ने बदनामी के डर से जान से मारने की धमकी और अपहरण सहित धारा 501 लगवाई। लेकिन, 5 साल की कड़ी मेहनत के बाद न्यायालय ने आरोपी को बरी कर दिया।