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सिर में मल्टीपल फ्रैक्चर; पैरालिसिस के साथ याददाश्त गई, फिजियोथैरेपी से मिला आराम

वर्ल्ड फिजियोथैरेपी डे पर विशेष: जहां डॉक्टर-दवा फेल, शारीरिक अभ्यास से मिला नया जीवन

प्रवीण श्रीवास्तव-भोपाल। आठ सितंबर को वर्ल्ड फिजियोथैरेपी डे है। इस अवसर पर पीपुल्स समाचार कुछ ऐसे केस की जानकारी दे रहा है, जिसमें दवा और डॉक्टर फेल हो गए, लेकिन फिजियोथैरेपी से नई जिंदगी मिली। राजधानी के कोलार इलाके में रहने वाला 17 साल का हररूप सिंह करीब तीन साल पहले सड़क दुर्घटना में गंभीर घायल हो गया। उसके सिर में मल्टीपल फ्रैक्चर हो गए। शरीर के अंगों ने काम करना बंद कर दिया था। उसे तत्काल एक निजी हॉस्पिटल में एडमिट कराया गया।

लंबे समय तक इलाज चला, कई ऑपरेशन भी हुए। करीब छह महीने बाद जब उसे डिस्चार्ज किया गया, तब वह बेड पर था। ब्रेन में चोट से पूरे शरीर में लकवा लग गया। आवाज के साथ याददाश्त भी चली गई। डॉक्टरों ने इससे ज्यादा ठीक होने से इनकार कर दिया था। ऐसे में परिजन उसे फिजियोथैरेपिस्ट डॉ. शताक्षी वर्मा के पास ले गए। यहां करीब दो साल चले उपचार के बाद हररूप अब पैरों पर खड़ा है।

कई चरणों में प्लान तैयार

डॉ. शताक्षी के अनुसार, हररूप का केस बहुत जटिल था, इस लेवल की इंजुरी को मेडिकल साइंस में असाध्य माना जाता है। हमने उसके इलाज के लिए कई चरणों में प्लान तैयार किया। पहले कुछ महीने कड़क हुई मांसपेशियों पर काम किया। इसके बाद अंगों के संचालन, बेड से व्हील चेयर तक लाने की कोशिश की। चेस खिलाया। ब्रेन गेम से धीरे-धीरे उसकी याददाश्त पूरी तरह लौट आई। दो साल बाद उसने चेस प्रतियोगिता जीती है। अब वह स्कूल भी जाता है।

हादसे के बाद मालिश से बढ़ी थी परेशानी

डॉ. सुनील पांडे बताते हैं, भोपाल के 27 साल के धर्मेंद्र को एक्सीडेंट में हाथ में चोट लग गई थी। घर में मालिश के बाद दर्द और बढ़ गया। डॉक्टर को दिखाया, तो उन्होंने प्लास्टर लगा दिया, जिससे हाथों की नसें जाम हो गईं और हाथ ने काम करना बंद कर दिया। दूसरे डॉक्टर को दिखाया, तो पता चला कि हाथ में ब्लड सप्लाई वाली नर्व डैमेज हो गई और कोहनी से नीचे अलनर व रेडियल नर्व इंजुरी हुई है। साथ ही फोरआर्म कलाई और पंजे की मांसपेशियों भी टाइट हो गई थीं। डॉक्टर ने ऑपरेशन में ढाई लाख रु. तक खर्च बताया। साथ ही कहा कि हाथ पूरी तरह ठीक होने की संभावना कम है। परिजन फिजियोथैरेपी के लिए मेरे पास लाए। करीब छह महीने के उपचार के बाद वह पूरी तरह ठीक है और प्रिंटिंग प्रेस में काम कर रहा है।

खांसने, छींकने पर होता था यूरिन डिस्चार्ज

डॉ. तपस्या तोमर ने बताया कि राजधानी की 48 वर्षीय राधा के दो बच्चे हैं। दोनों सामान्य प्रसव से पैदा हुए थे। पिछले कुछ महीनों से राधा को खांसने, छींकने या तेजी से हंसने पर यूरिन डिस्चार्ज की समस्या हो रही थी। धीरे-धीरे यह इतनी बढ़ गई कि वह सामाजिक कार्यक्रमों में जाने से बचने लगीं। यह समस्या उनके मानसिक स्वास्थ्य पर भी नकारात्मक प्रभाव डाल रही थी। उन्होंने डॉक्टर को दिखाया तो पता चला कि उन्हें मूत्र तनाव असंयमिता की समस्या है। डॉक्टर ने बताया कि यह ठीक नहीं हो सकता। मेरे पास केस आने पर मैंने उसे पेल्विक फ्लोर व्यायाम (केगल एक्सरसाइज) एवं अन्य व्यायाम कराया। वजन भी कम कराया। तीन महीने तक व्यायाम और खानपान में सुधार से वह पूरी तरह ठीक हो गई।

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