
विदिशा। आज पीपुल्स अपडेट आपको एक अनोखी प्रथा के बारे में बताने जा रहा है। यह परंपरा लटेरी तहसील की ग्राम झुकरजोगी में पिछले 50 सालों से निभाई जा रही है। यह अनूठा आयोजन हर साल रक्षाबंधन के अगले दिन होता है, जिसे हिंदू संस्कृति में कजलियां-भुजरियां के नाम से मनाया जाता है। इस दिन झुकरजोगी के ग्रामीण पूरे गांव से भुजरियां इकट्ठा कर एक पेड़ के नीचे रख देते हैं और उस पेड़ पर एक नारियल बांधते हैं। इन भुजरियों को तब तक उठाकर विसर्जित नहीं किया जाता, जब तक इस नारियल को कोई बंदूक की गोली से न फोड़ दे। बाद में गांव के मुखिया श्रीफल तोड़ने वाले का शॉल ओढ़ाकर सम्मान करते हैं। इस दिन गांव के मैदान में सैकड़ों बंदूकें एकसाथ गरजती दिखाई देती हैं…

प्रथा के साथ अनुशासन भी
शमशाबाद लटेरी रोड पर स्थित लगभग 5 हजार की आबादी वाले झुकरजोगी में आज भी प्राचीन पंरपराओं के साथ ग्रामीण कदमताल करते दिखाई देते हैं। यही वजह है कि साल के इस एक दिन के लिए खासतौर पर तैयारियां की जाती हैं। गांव के बाहर मैदान में रक्षाबंधन के अगले दिन होने वाली इस अनोखी परंपरा को देखने के लिए आस-पास के गांवों के लोग भी आते हैं। इसके साथ ही इस खास मौके के लिए लोग अपनी बंदूकों को पहले ही तैयार कर लेते हैं। यहां कई बंदूकें एक साथ आती है, लिहाजा अनुशासन और व्यवस्था बनाए रखना भी एक कठिन चुनौती होता है। ऐसे में इसकी जिम्मेदारी पुलिस के साथ गांव के बड़े-बुजुर्ग और वालंयिटर संभालते हैं।

इस साल भी निभाई परंपरा
गांव के बाहर आम के पेड़ पर नारियल बांधा गया। इस प्रथा का एक रोचक किस्सा ये है कि गांव के ही निवासी में से कोई अपनी बंदूक से ये नारियल फोड़ेगा। ऐसे में गांव के सभी लोग अपनी-अपने बंदूकें लेकर आए और नारियल पर निशाना साधा। इस बार नारियल पर निशाना साधा गांव के ही प्रदुम सिंह राजपूत ने। जिनका सरपंच द्वारा 5100 रूपए देकर तिलक किया गया।
#विदिशा : #लटेरी_तहसील के ग्राम झूकरजोगी में होता है अनोखा कार्यक्रम, 50 साल पुरानी प्रथा, रक्षाबंधन के दूसरे दिन ग्रामीण पेड़ के नीचे भुजरियां रखकर बांधते हैं एक नारियल, जब तक नारियल को बंदूक से नही फोड़ देते तब तक #भुजरियों को नही उठाया जाता, नारियल फोड़ने वाले का शॉल और श्रीफल… pic.twitter.com/FRfMcKYTzI
— Peoples Update (@PeoplesUpdate) August 31, 2023
(इनपुट- मोहन शर्मा, लटेरी)
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