
पुरू कथक नृत्य अकादमी द्वारा कथक गुरु क्षमा मालवीय के निर्देशन में नृत्य रंजिनी का आयोजन शहीद भवन में किया गया। इस आयोजन की खास बात यह रही कि पूरा शहीद भवन हाउसफुल रहा और अलग से कुर्सियां लगाना पड़ी। लगभग 350 पैरेंट्स इस मौके पर अपने बच्चों की परफॉर्मेंस देखने के लिए मौजूद रहे। कार्यक्रम में लगभग 150 आर्टिस्ट्स ने प्रस्तुति देते हुए शास्त्रीय नृत्य की अनुपम छटा बिखेरी। भगवान कृष्ण को प्राय: माखन चोरी करते गोपियों के साथ छेड़छाड़ करते या रास रचाते हुए चित्रित किया जाता है, लेकिन डॉ. पुरू दधीच ने अपनी इस कृष्ण नवरस रचना में कृष्ण चरित्र में ही नौ रसों की प्रस्तुति का अनूठा प्रयास किया। इसकी संगीत रचना एवं स्वर रचना कार्तिक रमन ने की। इस मौके पर नौ प्रस्तुतियां दी गईं।
राग भैरव, राग पुनिया में हनुमान चालीसा और फिर पेश की ठुमरी
राग भैरव, राग पुरिया धनाश्री देस इत्यादि राग सहित तीनताल, भजनताल कहरवा एवं उसके प्रकार में निबद्ध हनुमान चालीसा की प्रस्तुति भी दी गई। वहीं शिव ध्रुपद में दिखा गया कि शिव सब दुख हरण करने वाले, शक्ति प्रदान करे वाले, गौरी वर, चंद्रधर, जिनके गले में सर्प माला एवं जटाओं से गंगा का प्रवाह है। नृत्य नटराज शिवजी की यह स्तुति अप्रचलित ताल ब्रह्म ताल (28 मात्रा) एवं राग मालकौंस में निबद्ध रही। वहीं काली प्रस्तुति में कालीजी के कई रूपों का वर्णन किया गया है। राग बैरागी एवं 14 मात्रा के ताल में यह प्रस्तुति दी गई। इसके बाद नृत्यांगनाओं ने ठुमरी की प्रस्तुति दी। यह एक भाव प्रधान तथा चपल चाल वाला गीत है। इसमें शब्द कम होते हैं, किंतु शब्दों को हाव-भाव द्वारा प्रदर्शित करके गीत का अर्थ प्रकट किया जाता है। इसकी गति अति द्रुत नहीं होती। वहीं अंतिम प्रस्तुति एकाकार में राग कौशिकध्वनि में ताल कहरवा में प्रस्तुति दी।
सुंदर नृत्य संयोजन देखा
अपने बच्चों की प्रस्तुति को देखना सभी अभिभावकों के लिए गर्व व भावुक क्षण होता है। बच्चों ने चतुरंग नृत्य परफॉर्मेंस में बहुत सुंदर नृत्य किया। कला गुरु क्षमा मालवीय के संयोजन में यह प्रस्तुतियां देखते बन रहीं थीं। – सत्येंद्र सिंह रघुवंशी, अभिभावक
बच्चों के कॉस्ट्यूम भी सुंदर लगे
अलग-अलग रागों में संयोजित नृत्य प्रस्तुतियां और कथक के एक से बढ़कर एक सुंदर कॉस्ट्यूम और बच्चों के गेटअप देखते रह गईं। इससे बच्चों को आत्मविश्वास बढ़ता है व मंचीय एक्सपीरियंस भी मिलता है। – रुचिका जोशी, दर्शक