भोपाल। एक समय था, जब नौतपा का नाम सुनकर ही गर्मी का अहसास होने लगता था, लेकिन अब तो गर्मी इतनी बढ़ गई है कि हर दिन ही नौतपा लगता है। विज्ञान में नौतपा की कोई अवधारणा (concept) नहीं है, लेकिन वैदिक ज्योतिष के ग्रंथ ‘सूर्य सिद्धांत’ और ‘श्रीमदभागवत’ में इसका जिक्र है। इसके अनुसार जब सूर्य ज्येष्ठ माह में रोहिणी नक्षत्र में प्रवेश करता है, तब नौतपा की शुरुआत होती है। इस समय सूर्य वृष राशि के 10 अंश से 23 अंश 40 कला तक रहता है। ये है नौतपा की पूरी कहानी…
नौतपा में सूर्य और पृथ्वी काफी पास आ जाते हैं
साल में एक बार रोहिणी नक्षत्र की दृष्टि सूर्य पर पड़ती है। यह नक्षत्र रहता तो 15 दिन है, लेकिन शुरू के जिन 9 नक्षत्रों पर चंद्रमा रहता है, वे दिन नौतपा कहलाते हैं। नौतपा के बारे में कहते हैं कि ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष में आद्रा नक्षत्र से लेकर अगले दस नक्षत्रों तक यदि बारिश हो जाए, तो वर्षा ऋतु में इन दसों नक्षत्रों में बारिश नहीं होती। यदि इन्हीं नक्षत्रों में तेज गर्मी पड़े, तो बारिश अच्छी होती है। हमारी लोकोक्तियों में कहते भी हैं कि ‘तपै नवतपा नव दिन जोय, तौ पुन बरखा पूरन होय।’ इस दृष्टि से इससे मानसून का अनुमान लगाया जाता है।
नौतपा के दौरान सूर्य और पृथ्वी काफी पास आ जाते हैं। इनके बीच की दूरी घटने से सूर्य की किरणें लंबवत और सीधी होकर पृथ्वी पर आती हैं, जिससे अधिक प्रकाश और ऊर्जा धरती पर पहुंचती है। इससे गर्मी और तापमान अधिक बढ़ जाता है। अधिक गर्मी के कारण मैदानी क्षेत्रों में निम्न दबाव का क्षेत्र बन जाता है, जो समुद्र की लहरों को आकर्षित करता है। समुद्र उच्च दबाव वाला क्षेत्र होता है, इसलिए ठंडी हवाएं मैदानों की ओर बढ़ती हैं। हवाओं का यह रुख अच्छी बारिश का संकेत देता है। इसे हीट लो(Heat low) कहते हैं। इसीलिए तापमान जितना अधिक होगा; उतना ही अच्छा मानसून होगा। ऐसा माना जाता है। हालाकि इसका कोई प्रमाण नहीं है। पिछले कुछ सालों से यह क्रम बाधित हो रहा है।
कई सालों से मानसून में अच्छी बारिश क्यों नहीं हो रही ?
कई सालों से नौतपा कम तपने और बीच में बारिश हो जाने के कारण मानसून के दौरान अच्छी बारिश नहीं हो पा रही है। प्राकृतिक आपदाएं हो रही हैं। ज्योतिष की दृष्टि से सूर्य रोहिणी नक्षत्र में हो और बारिश हो जाए, तो इसे रोहिणी नक्षत्र का गलना भी कहा जाता है। सूर्य तेज और प्रताप का प्रतीक है, जबकि चंद्रमा शीतलता का। रोहिणी नक्षत्र का मुख्य अधिपति ग्रह भी चंद्रमा ही है। तो सूर्य जब चंद्रमा के रोहिणी नक्षत्र में प्रवेश करता है, तो इस नक्षत्र को अपने प्रभाव में ले लेता है। इससे धरती पर आंधी, तूफान आने की संभावना बढ़ जाती है। कहा भी गया है-‘ज्येष्ठ मासे सीत पक्षे आर्द्रादि दशतारका। सजला निर्जला ज्ञेया निर्जला सजलास्तथा।’
नौतपे का वैज्ञानिक कारण क्या है ?
अगर वैज्ञानिक रूप से देखें तो, सूर्य की स्थिति बदलने के कारण मई के आखिर और जून के पहले हफ्ते में सूर्य मध्य भारत के ऊपर आ जाता है और धरती से 90 डिग्री का कोण बनाता है। सूर्य की किरणें सीधे पृथ्वी पर पड़ने के कारण बुरी तरह झुलसाने वाली तेज गर्मी होती है। हालांकि ऐसा पूरे नौ दिन ही होगा…ये जरूरी नहीं, नौ से ज्यादा या कम दिनों तक भी गर्मी का प्रकोप हो सकता है। अच्छे मानसून के लिए उम्मीद की जाती है कि तेज और सूखी गर्मी पड़े। इस दौरान सूर्य, मंगल, बुध का शनि से समसप्तक योग होने से भी धरती का तापमान बढ़ता है। अब ग्लोबल वार्मिंग और अल नीनों भी इस पर प्रभाव ड़ाल रहे हैं।
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