
पुष्पेन्द्र सिंह भोपाल। राज्य सरकार द्वारा डिफॉल्टर किसानों के दो लाख रुपए तक माफ की गई ब्याज राशि मामले में कई जिलों में ब्याज लगाने को लेकर गड़बड़ियां सामने आई हैं। कहीं किसानों के ऋण पर 7 की जगह 14 फीसदी तक ब्याज लगा दिया गया तो कहीं पैक्स ने ही कम ब्याज लगाकर समिति को घाटे में ला दिया। यह खुलासा 11 लाख किसानों का 2 हजार 123 करोड़ रुपए माफ करने पर किसानों के रिकॉर्ड दुरुस्त किए जाने के दौरान हुआ है। ब्याज माफी के बाद जिला सहकारी केंद्रीय बैंक के अंतर्गत पांच-पांच पैक्स की अचानक जांच कराई जा रही है। आधे से ज्यादा अधिकारियों ने जांच प्रतिवेदन सौंप दिए हैं। जांच के दौरान ब्याज गणना को लेकर कई गड़बड़ियां सामने आ रही हैं।
इस तरह की गड़बड़ियां
- वर्ष 2012 से 2018 तक वितरित अल्पकालीन फसल ऋणों पर ड्यू डेट की अवधि के लिए 3% वार्षिक ब्याज व वर्ष 2019-20 के लिए 7% लगाना था। वर्ष 2019-20 और आगे के वर्षों में 3% ही ब्याज लगाया गया, जिससे पैक्स को राशि वसूलने में हानि हुई।
- ऋण खातों में वर्ष 2022-23 तक के लिए 14 प्रतिशत वार्षिक की दर से ब्याज लगाया गया।
- ऋण खातों में राज्य शासन के बेसरेट निर्धारण संबंधी आदेशों का पालन नहीं हुआ।
- 2019-20 के लिए 10.5% और 2020-21 के लिए 10% शासन से ब्याज अनुदान मिला, लेकिन जिला सहकारी केंद्रीय बैंक से संबद्ध पैक्स में 11% ब्याज लगा दिया।
सभी 11 लाख किसानों के ब्याज माफी के रिकॉर्ड का हिसाब-किताब लगाने अधिकारियों को फील्ड में भेजा है। कहीं-कहीं ब्याज गणना में खामियां मिली हैं। जहां गड़बड़ी हुई हैं और ज्यादा ब्याज लगाने की शिकायत मिलेगी, वहां संबंधित सहकारी कर्मचारी और अधिकारी पर कार्रवाई होगी। – उमाकांत उमराव, प्रमुख सचिव, सहकारिता